
लेखक ने अपनी साधना में स्व: निरिक्षण कर यह महसूस किया कि असली प्रगति के लिए फ़ा का अध्ययन, स्वयं को सुधारना और भीतर की आसक्तियों को दूर करना आवश्यक है, न कि दूसरों को सुधारने में ध्यान लगाना।

एक लंबे संघर्ष और पारिवारिक कष्टों के बाद लेखिका ने मास्टरजी के मार्गदर्शन से फ़ा का गहन अध्ययन करके अपनी साधना को गंभीरता से लिया और स्वयं व अपने बेटे के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाए।
20 जुलाई 1999 को न्यूयॉर्क छोड़ने के बाद मास्टर ली पहाड़ों के बीच से शांतिपूर्वक दुनिया को देख रहे हैं। (प्रकाशित 19 जनवरी 2000)


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20 जुलाई 1999 को न्यूयॉर्क छोड़ने के बाद मास्टर ली पहाड़ों के बीच से शांतिपूर्वक दुनिया को देख रहे हैं। (प्रकाशित 19 जनवरी 2000)

