(Minghui.org)  मैंने 2012 में फालुन दाफा का अभ्यास शुरू किया। मैं नए अभ्यासियों की मदद करने के बारे में अपने कुछ अनुभव साझा करना चाहूँगी। 

जब मैंने पहली बार साधना शुरू की, तो मैं अनुभवी अभ्यासियों से घिरी हुई थी जो बहुत मेहनती थे। उन्होंने लगन से फा का अध्ययन किया , अभ्यास किया, और सत्य को स्पष्ट किया , और उन्होंने मेरे जैसे नए अभ्यासियों को भी लगातार साधना के लिए प्रोत्साहित किया। हमें वास्तव में,“उसी ह्रदय से साधना करनी चाहिए जो आपके पास पहले था, और सफलता निश्चित है।” (“विश्व फालुन दाफा दिवस पर फा शिक्षाये”)

बहुत सी ऐसी बातें हैं जो एक नया अभ्यासी तब नहीं समझ पाता जब वह साधना शुरू करता है: जैसे कि “फा” का अध्ययन करने का महत्व, सुरक्षा पर ध्यान देना, इत्यादि। हम अनुभवी अभ्यासियों को नए अभ्यासियों को उनकी साधना में प्रोत्साहित करना चाहिए और उनकी मदद करनी चाहिए। 

युवा अभ्यासी जिनका मेरे साथ पूर्वनिर्धारित संबंध है 

2012 में जब मैंने साधना शुरू की, उसके तुरंत बाद एक साधक ने एक युवा लड़की को सच्चाई बताई जो साधक थी, लेकिन उसने बहुत पहले ही साधना करना बंद कर दिया था। उसकी माँ भी साधिका थी। दूसरे शहर में स्कूल जाने के बाद उस लड़की ने साधना करना बंद कर दिया। उससे बात करते समय, साधक को पता चला कि वह और मैं एक ही उम्र के थे, इसलिए उसने उसका मुझसे परिचय कराया। जब उसकी माँ और दूसरे साधकों ने उसे फा का अध्ययन करने के लिए कहा, तो उसने मना कर दिया, लेकिन जब मैंने उससे मेरे साथ फा का अध्ययन करने के लिए कहा, तो वह मान गई। जब मैं बाद में काम करने के लिए दूसरे शहर चली गयी, तो वह मेरे साथ वहाँ भी आई और मेरे साथ फा का अध्ययन करने लगी। 

उस समय, मैं भावुकता के मामले में एक बड़ी परेशानी से गुज़र रही थी। मुझे एक ऐसे आदमी से प्यार हो गया जिससे मुझे प्यार नहीं करना चाहिए था, लेकिन इस रिश्ते को खत्म करना मुश्किल था। जब मैं अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रही थी, तो वह लड़की मेरे पास आई। यह चीनी नववर्ष की छुट्टियों के दौरान की बात है, हम दोनों काम से छुट्टी पर थे, और हम हर दिन जुआन फालुन के तीन व्याख्यान पढ़ते थे , और अभ्यास करते थे। 

हम हर दिन फ़ा में डूबे रहते थे, हमें शांति और आनंद का अनुभव होता था। उसने मुझे बताया कि उसने सपना देखा कि हम दोनों एक कक्षा में बैठे थे, मास्टरजी खिड़की पर आए, हमारी तरफ देखा, और मुस्कुराए। मुझे पता था कि मास्टरजी हमें अपने सपने के साथ प्रोत्साहित कर रहे थे। 

मैं भावुकता की उस परीक्षा को पास करने में कामयाब रही, जिससे मैं लंबे समय तक उबर नहीं पाई थी। बाद में वह आदमी मुझसे फिर मिलना चाहता था , मैं इस बार मना करने में सक्षम थी। मुझे एहसास हुआ कि जब मैंने इस विशेष युवा अभ्यासी की मदद करने की कोशिश की, तो मैंने उसके साथ लगन से स्वयं भी साधना की थी, इस प्रकार मैंने वास्तव में खुद की मदद की थी और मैं परीक्षा पास करने में सक्षम हो पाई। 

सीसीपी के विचारों से प्रभावित

इस नयी अभ्यासी की मदद करने की प्रक्रिया में, मेरी अपनी आसक्ति उजागर हुई। उसे लोगों से बात करना, टीवी देखना और अपना फ़ोन देखना पसंद था, लेकिन मैं बिल्कुल इसके विपरीत थी : मैं शांत थी  और साधना पर ध्यान केंद्रित करती थी। 

मैंने देखा कि वह मेहनती नहीं है, और मैं चाहती थी कि वह सुधर जाए। हालाँकि, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) द्वारा प्रेरित होने के कारण, मैंने उससे जो कहा, उसमें करुणा की कमी थी, और मैंने उसे असहज महसूस कराया। बाद में मुझे एहसास हुआ कि दूसरों पर अपनी राय थोपना सही नहीं है, और जब उसका व्यवहार मुझे परेशान करता था, तो यह मेरे लिए अपने अंदर झाँकने और अपनी आसक्तियों को खोजने का अवसर था। 

मैंने उसकी कमियों पर ध्यान देना बंद कर दिया और सिर्फ़ अपनी साधना पर ध्यान दिया। जब वह लोगों से बात करती और टीवी देखती, तो मैं उसे अनदेखा कर देती, दूसरे कमरे में चली जाती या अपने हेडफ़ोन लगा लेती। मैंने उसे नीची नज़र से देखना या उसके बारे में शिकायत करना बंद करने की कोशिश की। बाद में मैंने पाया कि वह बदल गई है और उसने फ़ा का अध्ययन करने और अभ्यास करने की पहल शुरू कर दी है। 

वह जल्द ही अन्य साधकों से मिली जिन्होंने उसे प्रेरित और प्रोत्साहित किया, वह मेहनती बन गई, उसका दिव्य नेत्र धीरे-धीरे खुल गया, और वह अक्सर हमारे साथ फ़ा के आधार पर अनुभव साझा करती थी। मुझे पता था कि मास्टरजी ने हमें एक-दूसरे की मदद करने के लिए व्यवस्था की थी। 

संयोग 

मैं अपनी नौकरी के दौरान अभ्यासी श्री फैन से मिली, और उन्होंने मुझे बताया कि एक सहकर्मी सुश्री डिंग दाफा साधना करती थीं, फिर उन्होंने इसे बंद कर दिया। हाल ही में उन्होंने फिर से साधना शुरू की क्योंकि उन्हें कैंसर का पता चला था। श्री फैन को लगा कि उन्हें एक महिला अभ्यासी से बात करने में ज़्यादा सहजता होगी, और मैं उनके साथ फ़ा का अध्ययन करने के लिए सहमत हो गयी। चूँकि बाद में मेरा श्री फैन से संपर्क टूट गया, इसलिए मुझे लगा कि यह वास्तव में मास्टरजी की व्यवस्था थी - उनके माध्यम से, मैं सुश्री डिंग से मिली, और मैं उनकी मदद कर पायी। 

मेरी समझ से, चूँकि उसने कुछ समय के लिए साधना बंद कर दी थी, इसलिए उसे आगे बढ़ने के लिए और अधिक मेहनत करने की ज़रूरत थी। आम तौर पर मुझे उसके घर तक पहुँचने में डेढ़ घंटा लगता था। हालाँकि, मुझे लगा कि जब तक यह साधना से संबंधित है, मैं हर कठिनाई को पार कर सकती हूँ। सालों पहले एक अभ्यासी ने कुछ ऐसा कहा था जिसने मुझे प्रेरित किया, “हमारे पास सप्ताह में केवल एक बार समूह फ़ा-अध्ययन होता है। भले ही मौसम खराब हो, मैं आऊँगा !”

फ़ा का अध्ययन और याद करने के अलावा, हम अपनी साधना अनुभवो को साझा करने में भी कुछ समय बिताते थे। जब कुछ ऐसा होता था जिसे हम भूल नहीं पाते थे, तो हम उसे फ़ा के नज़रिए से देखते थे, और मुझे लगा कि हमारा आयाम क्षेत्र शुद्ध था। 

अन्य अभ्यासियों  के साथ करुणा से व्यवहार करना 

चूँकि मैंने अभी भी वर्षों पहले पढ़ी सीसीपी की शिक्षा को नहीं छोड़ा था, इसलिए मैं कभी-कभी सुश्री डिंग पर अपनी राय थोप देती थी। अब मैंने उनके दृष्टिकोण से उनकी स्थिति को समझने की कोशिश की, और उन्होंने कैंसर से उबरने के लिए साधना का अभ्यास फिर से शुरू कर दिया। मुझे मिंगहुई वेबसाइट पर बीमारी कर्म क्लेशों के बारे में कुछ लेख मिले, जिससे उनके सद्विचारों को मजबूत करने में मदद मिली। 

हमने इस बारे में भी बात की कि हम लोगों को बचाने के लिए क्या कर सकते हैं, और हम एक-दूसरे को प्रोत्साहित करते थे। मुझे अक्सर लगता था कि व्यक्तिगत मोक्ष की तलाश करना वह कारण नहीं था जिसके लिए मैं साधना का अभ्यास करती थी - इसके बजाय, हम यहाँ सचेत जीवो को बचाने के लिए हैं। हमारे पास पवित्र उपाधि है - “दाफा शिष्य” जो मास्टरजी ने हमें दी थी। हमने एक-दूसरे को प्रोत्साहित करने और अधिक मेहनती होने के लिए एक छोटा सा साधना वातावरण बनाया। 

एक बार, उसने दाफा संदेश अंकित एक कागज़ के नोट को खर्च करने की कोशिश की, लेकिन विक्रेता ने उसे लेने से इनकार कर दिया। उसके बाद, वह कागज़ के नोटों का इस्तेमाल नहीं करना चाहती थी, क्योंकि उसे डर था कि उसे फिर से मना कर दिया जाएगा। मुझे लगा कि यह किसी की साधना पर निर्भर करता है, और मैं उसे मजबूर नहीं कर सकती थी, या उसे यह नहीं बता सकती थी कि उसे क्या करना चाहिए। जब तक उसके पास लोगों को बचाने का ह्रदय था, चाहे वह कोई भी तरीका अपनाए, सब ठीक था। 

निष्कर्ष

चाहे हम नए हों या अनुभवी अभ्यासी, हमने जो कुछ भी अनुभव किया वह मास्टरजी द्वारा सावधानीपूर्वक व्यवस्थित किया गया था। जब हम एक साथ लगन से साधना करते हैं, तो हमारे बीच सहयोग भी साधना की एक प्रक्रिया है। एक अनुभवी अभ्यासी के रूप में, मुझे खुद को दूसरों से श्रेष्ठ नहीं समझना चाहिए, न ही अतीउत्साह की भावना विकसित करना चाहिए। भले ही एक नए अभ्यासी ने अभी-अभी साधना शुरू की हो, इसका मतलब यह नहीं है कि उनका ज्ञानोदय का गुण कम है। 

यदि हमारे मन में दूसरों की सहायता करने की भावना है, तो हम अधिक उदार होंगे, और हम अच्छा काम करने के लिए स्वयं को प्रेरित करते रहेंगे, नए अभ्यासियों के अच्छे मार्गदर्शक बनेंगे, यह जिम्मेदारी लेंगे, मास्टरजी की व्यवस्था को हतोत्साहित नहीं होने देंगे और अन्य अभ्यासियों के हमारे प्रति विश्वास को कम नहीं होने देंगे। 

मैं नए अभ्यासियों से कहना चाहूँगी : अनुभवी अभ्यासियों द्वारा हमें प्रोत्साहित करना और सहायता करना बहुत बढ़िया है, लेकिन हमें कोई आसक्ति विकसित नहीं करनी चाहिए - जैसे कि कृतज्ञता, दूसरों का अनुसरण करना, इत्यादि। किसी भी आसक्ति का लाभ पुरानी ताकतें उठा सकती हैं, जो हमारी साधना में बाधा डाल सकती हैं। हमें अपने समूह के माहौल को संजोना चाहिए, और साधना के मुद्दों पर साझा करने के लिए अपने दिलों को खोलना चाहिए, हमें एक-दूसरे को प्रोत्साहित करना चाहिए और लगन से साधना करनी चाहिए। 

मैं आशा करती हूँ कि हम सभी इस बहुमूल्य समूह वातावरण को संजोकर रख सकेंगे, अपने साधना पथ के अंतिम चरण को अच्छी तरह से पूरा कर सकेंगे, तथा मास्टरजी के साथ घर लौट सकेंगे।