(Minghui.org) मैं इस साल 90 साल की हो गयी हूँ और अकेली रहती हूँ। इस शहर में मेरी उम्र के ज़्यादातर लोग मेरी तरह नहीं रहते: मैं खुद का ख्याल रखती हूँ और अपने बच्चों की मदद के बिना सब कुछ खुद ही करती हूँ। मैं फ़ालुन दाफ़ा के अभ्यास की वजह से पूरी तरह स्वस्थ हूँ, जो 1992 से चीन में सिखाया जाने वाला एक ध्यान अभ्यास है।
जब मैंने फालुन दाफा का अभ्यास करना शुरू किया, तो मेरे पति को फालुन दाफा की शिक्षाओं की मुख्य पुस्तक जुआन फालुन मेरे लिए पढ़नी पड़ती थी, क्योंकि मैं कभी स्कूल नहीं गई थी और मुझे पढ़ना नहीं आता था। मेरे पति के निधन के बाद, मैंने कुछ समय के लिए अभ्यास करना बंद कर दिया, लेकिन मुझे हमेशा लगता था कि कुछ कमी रह गई है। एक दिन मैं बिस्तर से उठी और बिना किसी कारण के अभ्यास करना शुरू कर दिया। इस तरह मैंने 2010 में अभ्यास फिर से शुरू किया।
ज़ुआन फालुन को अपने आप पढ़ते समय, जब भी मुझे अध्ययन समूह में ऐसे शब्द मिलते जिन्हें मैं नहीं जानती थी , तो मैं साथी अभ्यासियों से पूछती थी कि उनका क्या मतलब है। अगर मैं घर पर अकेली होती, तो मैं शब्दों को लिख लेती और जो भी उपलब्ध होता, उससे पूछती कि उनका क्या मतलब है। कुछ समय बाद, मैं किताब को अपने आप पढ़ने में सक्षम हो गयी। मैं हर दिन “ऑन दाफ़ा ” को याद करके उसका पाठ भी करती हूँ। मैंने खुद से कहा कि मुझे अपने हर काम में शिक्षाओं का पालन करना चाहिए ताकि मैं वहीं वापस जा सकूँ जहाँ से मैं आयी हूँ।
इसके बाद के सालों में मैंने कई चमत्कार देखे। जब मेरे दांत में दर्द होता, पैर में दर्द होता या मैं अच्छा महसूस नहीं करती, तो मैं शिक्षाओं को याद कर लेती और अपने अंदर झाँकती। कुछ ही समय बाद लक्षण गायब हो जाते।
एक शाम मैं सद्विचार भेजते समय सो गयी और बिस्तर से गिर गयी। मैं उठी और बोली, “मैंने गलती की, मास्टरजी सद्विचार भेजते समय मुझे झपकी नहीं लेनी चाहिए।” मैं रेंगकर वापस बिस्तर पर गयी, लेकिन मेरी छाती के ऊपरी बाएँ हिस्से और गर्दन में दर्द हो रहा था।
अगली सुबह मैंने अपनी बेटियों को फोन किया और वे आईं और मुझे अस्पताल ले गईं। डॉक्टर ने कहा कि मेरी दो पसलियाँ टूट गई हैं। जब वे बिल का भुगतान कर रही थी, तो मैंने मास्टरजी से कहा कि मैं अस्पताल में नहीं रहना चाहती। जब मेरी बेटियों ने मुझे बताया कि मुझे अस्पताल में भर्ती होना पड़ेगा, तो मैंने विरोध किया और वे मुझे घर ले आई।
मेरी छाती में बहुत दर्द हो रहा था और मेरी गर्दन टूट गई थी। मैं बिस्तर पर लेट गयी और फ़ा का पाठ किया और सद्विचार भेजे। यह 20 दिनों तक चलता रहा।
एक दिन मुझे लगा, “क्या पुरानी शक्तिया मुझे सता नहीं रही हैं? एक अभ्यासी के रूप में, मैं इस स्थिति को कैसे स्वीकार कर सकती हूँ? ” अपनी पूरी ताकत से, मैंने अपना सिर उठाया और बैठ गयी, अपने पैरों को सीधा किया, उठ खड़ी हुयी , और चलना शुरू कर दिया। सीने में थोड़ा दर्द होने के अलावा, सब कुछ सामान्य हो गया।
टूटी हुई हड्डी से उबरने में आमतौर पर महीनों लग जाते हैं। उस समय मेरी उम्र 88 साल थी और मैं 20 दिनों में ठीक हो गयी। मेरे परिवार ने भी चमत्कारिक तरीके से मेरा ठीक होना देखा और मेरे अभ्यास का समर्थन किया।
दो साल बीत चुके हैं, और मैं अभी भी हर दिन लोगों को फालुन दाफा के चल रहे उत्पीड़न के बारे में बताने और उन्हें चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और उससे जुड़े संगठनों को छोड़ने में मदद करने के लिए बाहर जाती हूँ। मुझे उम्मीद है कि वे अपने लिए बेहतर भविष्य चुनेंगे।
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