(Minghui.org) नमस्कार, मास्टरजी! नमस्कार, साथी अभ्यासियों!

मैं 60 वर्षीय अभ्यासी हूँ और सेवानिवृत्त हूँ। मुझे 1996 में फालुन दाफा सीखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। पिछले 11 वर्षों से मैं अपने परिवार, मित्रों और अन्य लोगों से भय और दुष्प्रचार के कारण क्रूर उत्पीड़न और गलतफहमियों के बावजूद, पूज्य मास्टरजी और दाफा में अपने विश्वास पर दृढ़ रही हूँ। मैंने सभी पुरानी व्यवस्थाओं को पूरी तरह से नकार दिया और साथ ही लगातार विचलित कर रही धारणाओं को दूर किया। मैंने सभी प्रकार के हस्तक्षेप को समाप्त कर दिया और यहाँ तक पहुँचने में सक्षम हुयी।

मास्टरजी ने हमें जो तीन काम करने को कहा है, उनमें से पहली बात है "फा का अच्छी तरह से अध्ययन करना।" मेरे अपने अनुभवों ने मुझे यह एहसास कराया कि ठोस फा अध्ययन हमें अपने स्वयं के संसार और उससे भी अधिक भव्य संसारों में सचेत जीवों को बचाने में सक्षम बनाता है; "सद्विचारों को आगे भेजना" उन प्राणियों को नष्ट करना है जिन्होंने फा-सुधार में अपराध किए हैं, जिन्हें अब बचाया नहीं जा सकता; सत्य को स्पष्ट करना कम्युनिस्ट पार्टी की संस्कृति और झूठ से धोखा खाए लोगों को बचाना है। फा का अच्छी तरह से अध्ययन करना तीन कामों को अच्छी तरह से करने का आधार और नींव है। जब हम फा का अच्छी तरह से अध्ययन करते हैं, तो हम जानते हैं कि समस्याएँ आने पर क्या करना है; इसलिए मैं फा अध्ययन को बहुत गंभीरता से लेती हूँ।

मेरे परिवार की चार पीढ़ियाँ एक ही छत के नीचे रहती हैं। मैं अपने 90 वर्षीय पिता और नवजात पोते की देखभाल के लिए ज़िम्मेदार हूँ और इस प्रकार मेरे पास हमेशा घर के कामों का भार रहता है, फिर भी मैं फ़ा अध्ययन के लिए समय निकाल ही लेती हूँ। उदाहरण के लिए, जब मेरा पोता सो जाता है, तो मैं जुआन फालुन पढ़ती हूँ । जब मैं अपने पोते को बाहर खेलते हुए देखती हूँ या जब मैं बाज़ार में खरीदारी करती हूँ, तो मैं कागज़ का एक टुकड़ा निकालती हूँ, उस पर फ़ा का एक अंश लिखती हूँ और उसे दोहराती हूँ। कुछ समय बाद, कागज़ इकट्ठा हो जाते हैं और मैं उन्हें स्टेपल करके अध्ययन करती हूँ। कभी-कभी जब मैं रात को जागती हूँ, तो मैं उठकर फ़ा पढ़ती हूँ और कभी-कभी मैं अपने पति को फ़ा सुनाती हूँ।

मैं प्रतिदिन दो घंटे फा का पाठ करती हूँ। मैं हाथ से फा की नकल भी करती हूँ, और अब लेखन का ढेर एक फुट से भी ज़्यादा ऊँचा हो गया है। मैंने मास्टरजी की होंग यिन को सिर्फ़ उस समय याद किया जब मैं खाना बनाती हूँ और काम निपटाती हूँ।

मुझे फ़ा का अध्ययन करना बहुत पसंद है। मैं अक्सर जुआन फालुन में रेखाओं के बीच सुनहरे, चमकते हुए पीले रंग के चिह्नों को देखती हूँ, और घूमते हुए अक्षर छोटे हीरे जैसे दिखते हैं। मैं जुआन फालुन के हाथ से लिखे गए छंदों पर समान रूप से फैली हुई, प्रकाशित लाल पट्टियाँ भी देखती हूँ, जिनमें से प्रत्येक लगभग 0.1 इंच लंबी है। चाहे मैं कुछ देख पाऊँ या नहीं, मैं दाफ़ा में अपने विश्वास में कभी डगमगायी नहीं।

जनवरी 2000 में मैं दाफा की पुष्टि करने के लिए बीजिंग गयी थी। पुलिस ने मुझे अवैध रूप से गिरफ्तार किया और हिरासत में लिया और मुझे लेबर कैंप में भेजने की धमकी दी। शारीरिक परीक्षण के दौरान मैंने मन ही मन मास्टरजी से पूछा, "मास्टरजी, मैं घर जाना चाहती हूँ, अपने जीवन का आनंद लेने के लिए नहीं, बल्कि इसलिए क्योंकि मेरे पास करने के लिए काम हैं। धन्यवाद।" मैंने स्वतंत्रता वापस पा ली और मास्टरजी की सुरक्षा के साथ फ़ा-सुधार में वापस आ गयी।

मैं तब से कई बार बीजिंग गयी जब दाफा की बदनामी हुई थी और मास्टरजी पर हमला हुआ था। मैं तियानमेन चौक में "फालुन दाफा अच्छा है" चिल्लायी ; "मास्टरजी की प्रतिष्ठा बहाल करो"। दृढ़ सद्विचारों की शक्ति के कारण मैं अपनी सभी यात्राओं के दौरान सफल रही और सुरक्षित लौटी। 2003 में कुछ 610 ऑफिस एजेंटों ने मुझे ब्रेनवॉशिंग सेंटर ले जाने की कोशिश की, लेकिन मेरे परिवार के कड़े प्रतिरोध के कारण वे असफल रहे। फिर उन्होंने मेरे कार्यस्थल पर अकाउंटेंट को बुलाया। उन्होंने उसे मुझे कॉल करने और मुझे अपने पहचान पत्र और सेवानिवृत्ति प्रमाण पत्र के साथ सेवानिवृत्ति कार्यालय जाने के लिए कहा, यह कहते हुए कि मुझे पेंशन में वृद्धि मिली है। मुझे याद आया कि मास्टरजी ने कहा था, "...और सभी दृष्टिकोणों पर विचार करने में सक्षम होना चाहिए।" ("बोस्टन में 2002 के फ़ा सम्मेलन में फ़ा सिखाना") मुझे लगा कि अकाउंटेंट की कहानी मिथ्या हैं, क्योंकि मैंने पहले कभी पेंशन में वृद्धि के बारे में नहीं सुना था। मैंने सोचा कि यह एक जाल है और जाने से इनकार कर दिया। यह पता चला कि मैं सही थी। फिर मैंने सोचा, "अधिकारियों और अकाउंटेंट ने मिलकर मुझे  प्रताड़ित किया। मुझे उन्हें सच्चाई बतानी चाहिए।" मैं कुछ दिनों बाद वहाँ गयी, और उन्होंने चुपचाप मेरी बात सुनी। उन्होंने मुझसे माफ़ी मांगते हुए कहा, "610 कार्यालय ने हमें ऐसा करने के लिए मजबूर किया।"

मैंने उन्हें बताया कि मैं बीजिंग गयी थी, और उसके बाद मेरे कार्यस्थल के अधिकारियों ने दो सप्ताह की पेंशन काट ली। मैंने कहा, "जो कोई भी 'फालुन दाफा अच्छा है' को याद रखेगा, उसे पुरस्कृत किया जाएगा, और जो कोई भी दाफा की निंदा करेगा या दाफा अभ्यासियों को  प्रताड़ित करेगा, उसे निश्चित रूप से दंड मिलेगा!" दो दिन बाद सेवानिवृत्ति कार्यालय के प्रभारी व्यक्ति ने मुझे बुलाया और मुझसे कहा कि मैं दो सप्ताह की पेंशन ले लूं जो मुझसे रोकी गई थी। यह दाफा की शक्ति को दर्शाता है।

मुझे सितंबर 2005 में तीसरी बार गिरफ़्तार किया गया। मैं पुलिस विभाग तक चिल्लाती रही, "फ़ालुन दाफ़ा अच्छा है"। मुझे याद है कि मास्टरजी ने कहा था, "अगर कोई बाहरी कारक न होते, तो क्या मनुष्य देवताओं के साथ कुछ करने की हिम्मत कर पाते?" ("फ़ा-सूधार में आपके विचार सही होने चाहिए, मानवीय नहीं")

मैंने एक शक्तिशाली सद्विचार भेजा, "मुझे प्रताड़ित करनेवाले अन्य आयामों के सभी बुरे तत्वों और सड़े हुए राक्षसों को नष्ट कर दो!" मैंने मास्टरजी से यह भी पूछा, "मैं आज रात 3:00 बजे इस जगह को छोड़ दूंगी  कृपया मेरी मदद करें और टैक्सी बुलाने की व्यवस्था करें। धन्यवाद, मास्टरजी !"

जल्द ही, पुलिस प्रमुख, राजनीतिक प्रमुख, 610 कार्यालय के प्रमुख और रिकॉर्ड कीपर आ गए। पुलिस प्रमुख ने कहा कि वे मुझसे कुछ सवाल पूछेंगे और मेरे जवाब रिकॉर्ड करेंगे। मैंने उनसे कहा, "तुम मेरे घर के बाहर इंतजार कर रहे थे और मेरे घर लौटने के बाद अंदर घुस गए। यह एक अपराध है! फ़ा ब्रह्मांड को सुधार रहा है, और सभी दाफ़ा शिष्यों को उम्मीद है कि आपका भविष्य उज्ज्वल होगा। मैं आपके भले के लिए किसी भी सवाल का जवाब देने से इनकार करती हूँ। मुझे विश्वास है कि आप समझ गए होंगे।"

उन्होंने कुछ नहीं कहा और चले गए। दोपहर में, मेरी दूसरी गिरफ़्तारी में शामिल एक व्यक्ति मुझसे सवाल पूछने आया। मैंने कहा, "आपने मुझे पिछली बार प्रताड़ित किया था। मैं आपको बता दूँ, जो कोई भी दाफ़ा शिष्यों को  प्रताड़ित करेगा, उसे सज़ा मिलेगी।" उसने कहा, "ओह, चलो पिछली बार की बात नहीं करते। इस बार, आप जो भी महत्वपूर्ण नहीं समझते हैं, उसके बारे में बात कर सकते हैं और महत्वपूर्ण चीज़ों से दूर रह सकते हैं।" ऐसा लग रहा था कि वह अच्छा व्यवहार कर रहा था, लेकिन वास्तव में वह मुझे बात करने के लिए मजबूर कर रहा था। मुझे पता था कि दूसरे आयामों में सड़े हुए राक्षस उसे नियंत्रित कर रहे थे। मैंने कहा, "बड़ी बात है अगर उन्होंने लगभग 1,000 साल साधना की है, तो उन्हें कुचलने के लिए एक छोटी उंगली ही काफी है।" (स्पिरिट पोज़ेशन, द थर्ड टॉक, ज़ुआन फ़ालुन , 2003 अनुवाद संस्करण) मैंने सद्विचारों से बुराई को विघटित कर दिया और अधिकारी के सभी सवालों को नज़रअंदाज़ कर दिया।

उसका मोबाइल फ़ोन बज उठा और मैंने जो सुना उसके अनुसार, उसके परिवार में कुछ हुआ। वह चला गया। मैं सो गयी लेकिन जब कोई दरवाज़ा खटखटा रहा था तो मैं चौंक कर जाग गयी। मुझे अचानक याद आया कि मैंने जाने की योजना बनाई थी। मुझे समय का पता नहीं था लेकिन मैंने सोचा, "चूँकि कोई दरवाज़ा खटखटा रहा है, तो इसका मतलब है कि मास्टरजी मुझे जाने के लिए कह रहे हैं। इसका मतलब है अभी!" मैं खड़ी हो गयी और यह सोचते हुए सद्विचार भेजे, "नहीं उठना, और धातु का गेट कोई आवाज़ नहीं करेगा।" मैं सीढ़ियों से नीचे चली गयी।

मुझे एहसास हुआ कि मास्टर द्वारा की गई व्यवस्थाएं एक सुगम मार्ग होना चाहिए। जैसे ही मैंने गेट खोला, मैंने तुरंत पास में एक टैक्सी को प्रतीक्षा करते हुए देखा। मेरी आँखों से आँसू बह निकले, और मुझे लगा कि मास्टर की करुणा सर्वव्यापी थी। मैंने ड्राइवर से पूछा, "क्या समय हो गया है?" "तीन बजे।" बिल्कुल वैसा ही जैसा मैंने मास्टरजी से पूछा था! 24 घंटे की अवैध हिरासत के बाद मैं खुलेआम और सम्मानजनक तरीके से पुलिस विभाग से बाहर निकल आयी।

मास्टरजी ने हमें बताया कि हम साधक हैं जो देवत्व की ओर जाने वाले मार्ग पर चल रहे हैं। मुझे एहसास हुआ कि चाहे हम तथ्यों की व्याख्या करें या अन्य परियोजनाओं के साथ काम करें, हम वही कर रहे हैं जो देवता करते हैं, इसलिए हमें देवता के सद्विचारों के साथ चीजों के बारे में सोचना चाहिए, और चमत्कार होंगे।

एक बार मैंने एक लंबा सुनहरा बैनर देखा जिस पर तथ्यों को समझाने वाला एक वाक्यांश लिखा था, लेकिन वह बैनर तीन मंजिला अपार्टमेंट की छत पर एक एंटीना के चारों ओर लपेटा हुआ था। मैंने उसे नीचे उतारने का फैसला किया और छत पर चढ़ गयी, लेकिन वह मेरी पहुँच से बाहर था। मुझे एक लंबी छड़ी की जरूरत थी। जब मैं नीचे गयी, तो एक युवक बाइक पर सवार होकर आया, उसके हाथ में एक लंबी छड़ी थी। यह बिल्कुल वैसी ही लंबाई और मोटाई थी जैसी मैंने सोची थी। मेरे दिमाग में एक विचार कौंधा, "क्या मास्टरजी ने ऐसा नहीं किया?" मैंने उस युवक को रोका और उसे समस्या बताई। वह खुशी-खुशी मेरे लिए बैनर लाने के लिए तैयार हो गया। उसे बैनर लाने में काफी समय लगा। मैंने कहा, "युवक, तुम सबसे अच्छा काम कर रहे हो! याद रखो, 'फालुन दाफा अच्छा है' और तुम्हें पुरस्कृत किया जाएगा!" वह मुस्कुराया और सहमत हो गया।

जब "610 ऑफिस" के एजेंट मुझे ब्रेनवॉशिंग सेंटर ले जाने में विफल रहे, तो उन्होंने घोषणा की कि जब तक वे मुझे गिरफ्तार नहीं कर लेते, तब तक वे हार नहीं मानेंगे। मैं घर छोड़कर 1,000 मील से भी ज़्यादा दूर एक शहर में चली गयी, ताकि उत्पीड़न से बच सकूँ। एक दिन एक व्यक्ति ने मुझसे तुरंत वहाँ से चले जाने को कहा। मुझे एहसास हुआ कि मास्टरजी मुझे संकेत दे रहे थे, इसलिए मैंने तुरंत शहर छोड़ दिया।

दो दिन बाद शहर के पुलिस विभाग और स्थानीय पुलिस विभाग के अधिकारियों का एक समूह मुझे गिरफ़्तार करने की कोशिश में मेरे घर आया, लेकिन मैं पहले ही वहाँ से जा चुकी थी। मैंने सोचा, "मैं देवत्व की ओर जाने वाले मार्ग पर चल रही हूँ, और मेरे कंधों पर बहुत बड़ी ज़िम्मेदारियाँ हैं। हालाँकि घर पर रहना ख़तरनाक है क्योंकि मुझे हर समय गिरफ़्तारी का जोखिम रहेगा, लेकिन यहीं पर मैं सचेत जीवो को मुक्ति प्रदान करने की अपनी प्रतिज्ञा पूरी करूँगी। मुझे वापस जाना चाहिए।"

घर पर आकर मेरे पति ने मुझे बताया कि अधिकारियों ने मेरी सारी दाफा पुस्तकें, कंप्यूटर और अन्य उपकरण ले लिए हैं जिनका उपयोग मैंने दाफा सामग्री बनाने के लिए किया था। उन्होंने कोई रसीद नहीं छोड़ी और मेरे रिश्तेदारों के घरों में मेरी तलाश की। मैं घर पर ही रही और लंबे समय तक बाहर नहीं गई। मेरा दिल डर से भर गया था। मुझे याद आया कि मुझे तीन बार गिरफ्तार किया गया था, और मेरा परिवार मेरे बारे में चिंतित और परेशान था। हालाँकि, मैं डर को पूरी तरह से नकारने में सक्षम थी। मास्टरजी ने कहा, "तो डरने की क्या बात है? और इससे भी बढ़कर, तुम वास्तव में लोगों को बचा रहे हो - खुले तौर पर और गरिमा के साथ उनके अस्तित्व को बचा रहे हो - और वे इसे महसूस कर पाएंगे।" ("सैन फ्रांसिस्को में फ़ा सिखाना, 2005")

साधना के दृष्टिकोण से, मास्टरजी ने हमें बताया कि हम केवल उन्हीं लोगों को बचा सकते हैं जिनके अच्छे पक्ष को मेरी करुणा का एहसास होगा। सामान्य ज्ञान के दृष्टिकोण से, पुलिस ने बिना कोई रसीद दिए ही मेरी चीज़ें ले लीं - यह चोरी है, पुलिस के कार्य या कर्तव्य के अंतर्गत नहीं। किसे डरना चाहिए?

इस साल मार्च के आखिर में मैं खुलेआम बाहर निकली  पुलिस ने मुझे कभी परेशान नहीं किया। मास्टरजी ने कहा है ,

"साधक अपनी साधना में अपने चरित्र को बनाए रखता है, अपनी आसक्तियों को त्याग देता है, तथा किसी भी गलत कार्य को त्याग देता है। कोई भी दुष्ट प्राणी भयभीत हो जाएगा।" ( फालुन दाफा: महान मुक्ति का मार्ग )

मैंने अपने शरीर के भीतर एक गड़गड़ाहट की आवाज़ सुनी, और मुझे पता था कि मास्टरजी मुझे प्रोत्साहित कर रहे थे। मास्टरजी ने कहा है , "... साधना की पूरी प्रक्रिया लगातार मानवीय आसक्तियों से छुटकारा पाने की एक प्रक्रिया है।" (पहला प्रवचन, जुआन फालुन )

साधना के दौरान मैंने लगातार खुद को बुरी धारणाओं से मुक्त किया है। एक आसक्ति है दाफा को प्रमाणित करने के लिए परियोजनाओं के दौरान सब कुछ करने की इच्छा। मैं आमतौर पर बहुत सारी चीजें करना पसंद करती हूं, जो अपने आप में गलत नहीं है; लेकिन अगर मैं इससे बहुत ज्यादा जुड़ी  हुयी हूं, तो यह एक ऐसी धारणा है जिसे छोड़ देना चाहिए। इसका मतलब होगा कि मैं किसी खास परियोजना के लिए सबसे उपयुक्त क्या है, इस बारे में सोचने के बजाय अधिक चीजें करके अधिक शक्तिशाली सद्गुण बनाने की कोशिश कर रही हूं। उदाहरण के लिए, एक अभ्यासी एक निश्चित परियोजना के लिए बेहतर था और अन्य अभ्यासियों ने उसका सुझाव दिया; फिर भी, मैंने जिद्दी होकर इसे खुद करने पर जोर दिया। हालांकि यह पूरा हो गया था, कई अभ्यासी परेशान थे। वास्तव में, मैं दिखावा कर रही थी और एकजुट होकर बेहतर परिणाम प्राप्त करने के बारे में सोचने के बजाय अधिक शक्तिशाली सद्गुण बनाने की स्वार्थी इच्छा रखती थी। मैंने अन्य लोगों की भावनाओं को नजरअंदाज कर दिया।

मुझे "गुट" मानसिकता से भी छुटकारा पाना है। मैं हमेशा एक ही अभ्यासी के साथ काम करती हूँ क्योंकि हमारे बीच बहुत सी चीजें समान हैं। कुछ समय बाद, आसक्ति सामने आयी और हमने एक गुट बना लिया। हम एक-दूसरे की कमियों को बताने में अनिच्छुक हो गए और यहाँ तक कि उन्हें अनदेखा भी कर दिया। यह एक गंभीर आसक्त  है।

कुछ समय तक साधना करने और दाफा कार्य करने के बाद, मुझे लगा कि मेरे पास दूसरों की तुलना में अधिक मूल्यवान अनुभव हैं और मैं खुद को दूसरों से ऊपर रखती हूँ। मैं एक साधारण अधिकारी की तरह आलोचनात्मक हो गयी। मुझे पसंद था कि दूसरे मेरे सुझाव का पालन करें। हाल ही में, मैंने " ऑस्ट्रेलियाई फालुन दाफा अभ्यासियों को फा सिखाना" पढ़ा, जिसने मुझे गहराई से प्रभावित किया। मास्टरजी मेरी कमियों की ओर इशारा कर रहे थे! मैं अपनी राय पर अड़ी रहती हूँ और कभी-कभी दूसरों की तीखी आलोचना करती हूँ। अंत में मुझे क्या मिलता है? साधारण चीजें, जिन्हें मुझे देवता बनने के लिए त्यागना होगा।

पिछले 11 वर्षों से, मैंने मास्टरजी द्वारा निर्धारित साधना पथ पर कष्ट और सुख दोनों का अनुभव किया है। मैंने अपने अनुभवों को कुछ शब्दों में संक्षेपित किया है: मास्टरजी और दाफा पर "विश्वास" करना और कभी भी विचलित न होना; लोगों द्वारा अच्छी समझी जाने वाली किसी भी चीज़ को छोड़ देना, जिसका अर्थ है मानवीय आसक्तियों को त्यागना, क्योंकि हम मानवीय धारणाओं को छोड़ देने के बाद देवता बन जाते हैं; भय को दूर करने का साहस, और मास्टरजी द्वारा निर्धारित पथ पर चलने का साहस, और अंत में, मास्टरजी द्वारा अपेक्षित तीन चीज़ों को लगन से पूरा करना।

मास्टरजी ने मुझे बहुत कुछ दिया है। मैं मास्टरजी और फालुन दाफा की प्रशंसा शब्दों में नहीं कर सकती। मेरी एकमात्र इच्छा है कि मैं और अधिक मेहनत करूँ ताकि मास्टरजी को कम चिंता करनी पड़े, और मैं मास्टरजी के साथ वापस जाऊँ।