(Minghui.org) मैं बस स्टॉप पर लोगों से फालुन दाफा के बारे में बात कर रही थी और अचानक एक साथी अभ्यासी से टकरा गई। उसने मुझे बताया कि उसे लग रहा था कि दूसरे अभ्यासी उसे अजीब नज़रों से देख रहे हैं क्योंकि उसने इतने सारे लोगों को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी छोड़ने में मदद की थी। उसे चिढ़ हुई और लगा कि वे उससे ईर्ष्या कर रहे हैं।
उसकी कहानी सुनने के बाद, मैंने अपने अंदर झाँका और पाया कि मुझमें भी यही समस्या है, लेकिन यह मुझमें अलग तरह से प्रकट होती है। मैं अपनी बहू के अपनी बेटी (मेरी पोती) को पढ़ाने के तरीके से नाखुश और परेशान हूँ।
वह एक साधारण परिवार से है, और जब वह छोटी थी, तभी उसके पिता का देहांत हो गया था। उसने एक तकनीकी स्कूल से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और मेरे बेटे से विवाह किया।
मैं और मेरे पति दोनों ही सादा जीवन जीते हैं, जबकि मेरी बहू ज़्यादा फिजूलखर्ची करती है। वह फिजूलखर्ची करती है और पैसे उड़ाना पसंद करती है। वह खाने-पीने को लेकर भी बहुत नखरेबाज़ है और अगर उसे घर का खाना पसंद नहीं आता, तो अक्सर बाहर से खाना मँगवा लेती है। वह सिर्फ़ सबसे अच्छी चीज़ें ही खरीदती है, और जब उसके पैसे खत्म हो जाते हैं, तो वह हमसे पैसे मांगती है।
अगर मेरी पोती के नंबर अच्छे नहीं आते, तो मेरी बहू उससे कूड़ा उठवाती है। वह अक्सर उससे दूर रहती है, उसका मज़ाक उड़ाती है, और व्यंग्यात्मक बातें करती है। गुस्सा आने पर वह उसे पीटती भी है।
मेरी बहू ने हाल ही में बताया कि उसकी बेटी परीक्षा में अच्छा नहीं कर पाई और उसे कक्षा में सबसे नीचे स्थान मिला। संयोग से मेरी बहू की माँ मिलने आई थीं, इसलिए मैंने उन्हें वो सब बता दिया जो पिछले आठ सालों से मेरे दिल में दबा हुआ था।
नतीजा यह हुआ कि मेरे मुँह में छाले पड़ गए। मुझे लगा कि मैं बहुत ज़्यादा बोल गई और अपने अंदर झाँक ही नहीं पाई। मुझे एहसास हुआ कि मुझे अपनी प्रतिष्ठा से बहुत लगाव है, और मैं दूसरों से अलग दिखना चाहती हूँ। अगर मेरी पोती अच्छे नंबर लाती है, तो मैं उस पर गर्व कर सकूँगी और शेखी बघार सकूँगी।
मेरी बहू को लगता है कि वह घर की मुखिया है, और मेरे पति और मेरी कोई बात नहीं सुनी जाती। मैं उसकी बुराइयों पर ही ध्यान देती रहती हूँ, जबकि असल में उसका बुरा व्यवहार मेरे आसक्ति का ही प्रतिबिम्ब है। मुझमें दया की कमी है और मेरा हृदय दुष्ट है।
मैं अब अपनी आसक्तियों को उजागर कर रही हूँ ताकि उन्हें खत्म कर सकूँ। मैं अपने हृदय से बुरे तत्वों को दूर करना चाहती हूँ ताकि उन्हें छिपने की कोई जगह न मिले। जब मेरा हृदय शुद्ध हो जाएगा, तो मैं और भी दयालु और करुणामय हो जाऊँगी।
सभी जीवन अनमोल हैं और दाफ़ा द्वारा बचाए जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। मैं उन्हें मुक्ति प्राप्त करने में मदद करने के लिए दयालुता विकसित करना चाहती हूँ।
कृपया मुझे सही करें यदि मैंने जो कुछ कहा है वह फ़ा के अनुरूप नहीं है ।
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