(Minghui.org) मैं किसी प्रोजेक्ट में किसी खास नतीजे को कैसे हासिल किया जाए, इस बारे में सोचना बंद नहीं कर पाता था। इससे मेरी साधना में गंभीर रूप से बाधा हुई क्योंकि जब मैं फा का अध्ययन करता था, व्यायाम करता था, और सद्विचार भेजता था, तो मैं ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता था।

मुझे पता था कि ऐसा इसलिए था क्योंकि मुझे दिखावा, प्रसिद्धि और खुद को मान्य करने से बहुत लगाव था। मुझे एहसास हुआ कि मैं आधुनिक धारणाओं से प्रेरित था इसलिए मैंने अनजाने में ही परिणामों का पीछा किया।

मैं एक पेशेवर हूँ, और मैं अपना काम अच्छी तरह से करता हूँ। मुझे अपने सहकर्मियों से तारीफ़ें सुनना अच्छा लगता है और जब दूसरे लोग मेरे काम की तारीफ करते हैं तो मुझे खुशी होती है। मुझे पता था कि यह गलत है, लेकिन मैं इस लगाव को खत्म नहीं कर सका, खासकर काम के माहौल में।

पहले तो मुझे एहसास ही नहीं हुआ कि मुझे प्रसिद्धि से लगाव है क्योंकि मुझे लगता था कि यह केवल प्रसिद्ध लोगों पर ही लागू होता है। जैसे-जैसे मैंने फ़ा का और अधिक अध्ययन किया और अन्य अभ्यासियों से बात की, मुझे एहसास हुआ कि मेरी समझ सतही थी। मेरी आसक्ति इतनी सूक्ष्म रूप से छिपी हुयी थी कि मैं इसे देख ही नहीं पाया।

मैंने धीरे-धीरे गहराई से सोचा और अपने भीतर देखा तो मुझे एहसास हुआ कि मैं जो कुछ भी करता था उसके पीछे लोगो द्वारा मुझे पहचाने जाने की अचेतन इच्छा थी। जब मैं कुछ करता था, तो मैं अनुमान लगाता था कि दूसरे लोग क्या सोचेंगे और उनकी प्रतिक्रियाएँ क्या होंगी। यह विचार अपनेआप ही आ जाता था, इसलिए मुझे नहीं लगा कि यह गंभीर है। मैंने यह भी सोचा कि यह अच्छा है क्योंकि मुझे लगा कि इसका मतलब है कि मैं दूसरों के प्रति विचारशील हूँ। लेकिन बाद में मुझे एहसास हुआ कि मैं प्रसिद्धि पाने की कोशिश कर रहा था।

मास्टरजी ने कहा है ,

"आपको अच्छा लगता है जब दूसरे लोग कहते हैं कि आप अच्छे हैं। आपको अच्छा लगता है जब दूसरे लोग आपकी प्रशंसा करते हैं और आपकी चापलूसी करते हैं। आपको अच्छा लगता है जब दूसरे लोग आपका सम्मान करते हैं। और आप ऐसी किसी भी चीज़ से डरते हैं जो आपकी छवि को नुकसान पहुँचाती है। यह सब उस मानसिकता को विकसित कर रहा है जो घमंड है। यह एक आसक्ति है। चेहरा बचाने की मानवीय इच्छा बहुत मजबूत है।" (ऑस्ट्रेलिया के फ़ा सम्मेलन में फ़ा सिखाना)

क्या मास्टरजी मेरे व्यवहार का वर्णन नहीं कर रहे थे? मुझे हमेशा लगता था कि मेरे काम के बारे में लोगों की राय मेरे बारे में उनकी राय को दर्शाती है और मुझे आश्चर्य होता था कि क्या मेरी छवि अच्छी है।

जब मैंने आखिरकार इसे पहचाना, तो मुझे आश्चर्य हुआ कि मुझे प्रसिद्धि से इतना गहरा लगाव था। इस लगाव के कारण मैं काम पर अपनी उपलब्धियों का प्रदर्शन करता था। मैंने इस लगाव को खत्म करने का फैसला किया। जब भी मैंने देखा कि यह सामने आ रहा है, मैंने इसे नकार दिया और इसे दबा दिया। मेरा लगाव कमज़ोर हो गया, लेकिन यह अभी भी मौजूद था।

हाल ही में जब हमने अभ्यास किया तो मेरी माँ ने कहा, "क्या तुम अपनी उपलब्धियों का श्रेय ले रहे हो?" उनके शब्दों ने मुझे तुरंत जगा दिया। मैंने सोचा, "मुझे हमेशा से पता था कि मेरी सारी योग्यताएँ मास्टरजी और दाफ़ा द्वारा दी गई हैं।"

दुनिया में हर काम और पद दाफा द्वारा बनाया गया है। अभ्यासियों के रूप में हमारी एकमात्र जिम्मेदारी फ़ा की पुष्टि करना और लोगों को बचाना है। दाफा ने हमें हमे क्षमताएँ दीं है और मास्टरजी ने सब कुछ बनाया है। हालाँकि, मैं काम में अपनी छोटी सफलता के कारण अभिमानी और घमंडी हो गया था। मुझे लगता था कि मैं दूसरों से श्रेष्ठ हूँ और मैं महान हूँ।

मैंने अपने आसक्तियों को खत्म करने के लिए सद्विचार भेजना शुरू कर दिया, और धीरे-धीरे मुझे अपना अहंकार दिखाई देने लगा; मैं उन विचारों को पहचान सकता था जो मेरा असली स्वरूप नहीं थे, और मुझे समझ में आ गया कि मुझे उन बुरे तत्वों को खत्म करना होगा। मुझे पता था कि मुझे अपने काम और जीवन में हर चीज़ को अपनी छोटी-छोटी उपलब्धियों के बारे में अहंकारी महसूस करने के बजाय विनम्र हृदय से देखना चाहिए।

मास्टरजी और फ़ा ने मुझे प्रज्ञा दी और मैंने महसूस किया कि मेरा सच्चा स्वरूप अधिक शक्तिशाली हो गया है और मेरे विचार विस्तृत हो गये है।

मुझमें जो थोड़ा सा बदलाव भी आया है, वह मास्टरजी की व्यवस्था और मार्गदर्शन के कारण ही है। मैं अपना मिशन नहीं भूलूंगा और मास्टरजी द्वारा बताए गए मार्ग पर आगे बढ़ने की पूरी कोशिश करूंगा।