(Minghui.org) अपने 20 वर्षों के साधना काल में, मैंने फ़ा प्राप्त करने का आनंद, आसक्ति से मुक्ति पाने से होने वाला दर्द और स्तरों में ऊपर उठने के बाद मन और शरीर की सहजता का अनुभव किया है। न केवल मेरा शरीर शुद्ध हुआ है, बल्कि कष्टों पर विजय पाने के बाद मेरे चरित्र में भी सुधार हुआ है। मैं एक स्वार्थी व्यक्ति से बदलकर एक अधिक खुले विचारों वाली व्यक्ति बन गयी हूँ। यहाँ तक कि मेरे रिश्तेदार और मित्र भी इस बात से सहमत हैं कि मैं बेहतर हो गयी हूँ।

मेरा बचपन अत्यंत दुःखद था। जब मैं सात साल की थी, तब मेरी माँ का निधन हो गया और उसी साल शरद ऋतु में मेरे पिता ने दूसरी शादी कर ली। मेरी बदकिस्मती उसी समय शुरू हो गई जब मेरी सौतेली माँ हमारे घर आई। मेरी सौतेली माँ मेरे पिता के सामने खुद को संयमित रखती और उनके जाते ही मेरे साथ बुरा व्यवहार करती। वह बिना किसी कारण के भी मुझे पीटती और डांटती थी। मेरे सौतेले दो बहनों और भाई के जन्म के बाद, मुझे सताने के उसके तरीके और भी बढ़ गए, मानो वह मुझे मार डालना चाहती हो।

मेरे भोजन पर रोक लगा दी गई थी, और मुझे चीन के नववर्ष समारोह के दौरान भी नहीं बख्शा गया। मेरे माता-पिता और भाई-बहन सफेद आटे से बने पकौड़े खाते थे जबकि मैं काले आटे से बने पकौड़े खाती  थी। मुझे हर तरह का काम करने के लिए मजबूर किया जाता था, या तो पहाड़ों में सब्जियाँ चुनना, घास काटना, या घर के काम करना। परिणामस्वरूप स्कूल में मेरी उपस्थिति बहुत कम थी, क्योंकि हर दिन मेरे लिए अंतहीन काम रहता था। मेरे पास आराम करने का कोई समय नहीं था, और मैं अपनी सौतेली माँ द्वारा पीटे जाने के डर में रहती  थी। मैं कम और धीमी आवाज में बोलती थी, दूसरे लोगों से दूर रहती थी, और पूरा दिन उदासी में बिताती थी।

मेरी सौतेली माँ के दुर्व्यवहार के कारण, मुझे शारीरिक और मानसिक तौर पर कष्ट सहना पड़ा। युवावस्था में, मेरा कद छोटा और दुबला था, और मेरा रंग भूरा था। काम पर मेरे पहले दिन की शारीरिक जांच में पाया गया कि मेरा वजन केवल 37 किलोग्राम (82 पाउंड) था। साथी फैक्ट्री कर्मचारियों ने टिप्पणी की, "यह बच्ची बहुत छोटी है। इसे किंडरगार्टन में ले जाना चाहिए।"

मैं अपनी सौतेली माँ के दुर्व्यवहार के बारे में शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पायी, लेकिन मेरे दिल में नाराज़गी के बीज उग आए। जब भी मैं उसे देखती, मेरा दिल अनायास ही सिकुड़ जाता और मेरे अंदर दबा हुआ गुस्सा फिर से उभर आता, जिससे मेरे लिए शांत होना असंभव हो जाता। काम शुरू करने के बाद, मैंने घर छोड़ दिया और हर कीमत पर अपनी सौतेली माँ से दूर रहने का संकल्प लिया।

फा प्राप्त करना और ऋण चुकाना

मैंने अपने एक दयालु सहकर्मी के कहने पर फालुन दाफा की साधना 20 जुलाई 1999 के कुछ समय बाद शुरू की, जब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) द्वारा फालुन गोंग (जिसे फालुन दाफा भी कहा जाता है) के खिलाफ दमन चरम पर था।

फालुन दाफा की मुख्य पुस्तक जुआन फालुन को पहली बार पढ़ने के बाद, मुझे पता चला कि यह एक ऐसी पुस्तक है जो लोगों को अच्छा बनना सिखाती है। पहले तो मैंने स्वयं सोचा, "अगर मेरी सौतेली माँ ने यह पुस्तक पढ़ी होती, तो वह इतनी बुरी नहीं होती, और मुझे इतना कष्ट नहीं सहना पड़ता।" लेकिन जैसे-जैसे मैंने इसे पढ़ना जारी रखा, मुझे कर्म प्रतिफल के गहरे सिद्धांत समझ में आने लगे, और यह कि मैं अपने पिछले जन्मों में किए गए बुरे कर्मों का भुगतान कर रही हूँ। शायद मैंने अपने पिछले जन्म में अपनी सौतेली माँ को नुकसान पहुँचाया था या उनके साथ दुर्व्यवहार किया था, इसलिए इस जन्म में उन्हें मुझसे यह ऋण लेने का अधिकार था।

इस समझ ने मेरी सौतेली माँ के प्रति मेरे मन में जो कुछ नाराज़गी थी, उसे दूर कर दिया और मेरी पिछली धारणा को सही कर दिया कि ईश्वर मेरे साथ अन्याय कर रहे हैं। कर्ज चुकाना ही होगा और मैं उन्हें चुकाने के लिए तैयार थी।

कुछ बातें कहने में आसान होती हैं, करने में नहीं। इस गहरी जड़ जमाए हुए आक्रोश को दूर करने की प्रक्रिया कष्टदायक थी। परत दर परत, मैंने बार-बार इस आसक्ति को दूर करने का प्रयास किया, लेकिन कुछ समय बाद मेरा आक्रोश फिर से उभर आता। मैं अपनी सौतेली माँ से दूर रहना चाहती थी, क्योंकि उनके क्रूर और अनैतिक दुर्व्यवहार ने अभी भी मेरे धैर्य को तार-तार कर रखा था। लेकिन एक फालुन दाफा अभ्यासी के रूप में, मुझे फा की आवश्यकताओं के अनुसार काम करना था और अतीत को भूल जाना था। इसके अलावा, ये पारस्परिक द्वेष मेरे पिछले अपराधों के कारण थे। इसलिए, कई वर्षों तक अपनी सौतेली माँ से दूर रहने के बाद, मैंने अपना लहजा बदला और उनके साथ सक्रिय रूप से बातचीत करना शुरू कर दिया। मैंने उपहार खरीदे और नए साल के दिन और अन्य विशेष अवसरों पर अपने दोनो बुजुर्ग माता-पिता से मिलने गई, इस प्रकार उनकी बेटी के रूप में अपनी ज़िम्मेदारियाँ पूरी कीं। समय के साथ, मेरा आक्रोश कम होता गया।

एक दिन मेरी सौतेली माँ ने मुझसे बुढ़ापे में सहारा देने के लिए कुछ पैसे माँगे। जब मैंने उनकी माँग सुनी तो मैं गुस्से से बोल पड़ी, "तुमने मुझे परेशान किया, फिर भी बुढ़ापे में सहारा माँगने की हिम्मत की। मैं तुम्हें एक पैसा भी नहीं दूँगी!" बाद में उसने मेरे पिता को मजबूर किया कि वे मुझसे पैसे माँगने की कोशिश करें।

इस घटना के अगले दिन, मैंने अपनी सौतेली माँ को सड़क पर कूड़ा-कबाड़ इकट्ठा करते हुए देखा और मन ही मन सोचा, "वह इसकी हकदार है!" इस बुरे विचार के बाद, मैं तीन दिन तक बीमार थी। बाद में, मैंने सोचा, "वह 60 साल की है, फिर भी कूड़ा-कबाड़ इकट्ठा करके अपना गुजारा कर रही है। उस पर दया करना चाहिए। मुझे उसकी बदकिस्मती पर खुश नहीं होना चाहिए था।" इस घटना ने मुझे एहसास दिलाया कि मेरी नाराज़गी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है, और मैंने इसे पूरी तरह से खत्म करने का संकल्प लिया।

मुझे पता था कि मैं गलत थी। मेरी प्रतिक्रिया बुराई का संकेत दे रही थी और उसमें करुणा की कमी थी। बुज़ुर्ग दंपत्ति के लिए जीवन कठिन बना रहा। उनके तीन जैविक बच्चे उनकी बिल्कुल भी परवाह नहीं करते थे और आर्थिक सहायता के बिना, उन्हें जीवनयापन के लिए सड़क पर कबाड़ इकट्ठा करने के लिए मजबूर होना पड़ा। कोई और विकल्प न होने के कारण, वे पैसे मांगने के लिए मेरे दरवाज़े पर दस्तक देने के लिए अपना आत्म-सम्मान त्याग चुके थे। उनकी स्थिति वास्तव में दयनीय थी, इसलिए मैंने उन्हें सालाना 2,000 युआन देने का फैसला किया। हमारा परिवार संपन्न नहीं था, इसलिए मैं उन्हें और अधिक देने में असमर्थ थी। जब मैंने उन्हें अब कबाड़ इकट्ठा न करने के लिए कहा और उन्हें यह राशि दी, तो ऐसा लगा जैसे मेरे दिल से एक बड़ा बोझ हट गया हो।

मेरे पिता के निधन के बाद, उनकी इच्छानुसार उन्हें मेरी माँ के साथ दफनाया जाना था, लेकिन मेरी सौतेली माँ और उनके तीन बच्चों ने इसका पूरजोर विरोध किया। आखिरकार, मेरे मामा ने बिना उन्हें बताए मेरे पिता के अंतिम संस्कार की व्यवस्था मेरी माता के कब्र के समीप की। उनके अमानवीय व्यवहार से नाराज़ होकर मैंने अपनी सौतेली माँ से सभी संपर्क समाप्त कर दिए, और मैंने त्योहारों के दौरान उपहारों के साथ अपने बेटे को उनके पास भेजा।

चार या पाँच साल बाद, मेरी सौतेली माँ मेरे दरवाज़े पर दस्तक देने आई। उसने मुझे कुछ फल दिए और कहा कि वह देखना चाहती है कि मैं कैसी हूँ। जब मैंने बताया कि मेरी ठीक होने न होने से उसका कोई लेना-देना नहीं है, तो उसने शर्मिंदगी से मुझे बताया कि वह बीमार है। मैंने जवाब दिया, "अगर तुम बीमार हो, तो तुम्हें अस्पताल जाना चाहिए।"

दो महीने बाद, उसकी हालत और खराब हो गई और उसे कैंसर का पता चला। तब तक उसके प्रति मेरी नफरत खत्म हो चुकी थी, और मुझे बस उस पर दया आ रही थी। उसके अपने सगे बच्चे पैसे कमाने में इतने व्यस्त थे कि उन्होंने उसे छोड़ दिया। अपनी पोती को स्कूल छोड़ने और लेने के अलावा, मैंने अपनी सौतेली माँ के लिए खाना-पीना तैयार करती थी, साफ-सफाई करती और उसकी देखभाल करती थी, यहाँ तक कि उसकी सगी बेटी से भी ज़्यादा मेहनत की।

एक दिन, वह रोते हुए मुझसे बोली, "अगर तुम नहीं आती, तो मेरे पास पीने के लिए पानी भी नहीं होता।" मैं खुद को उसके साथ रोने से नहीं रोक पायी। बाद में, मेरी चाची ने मुझे बताया, "तुम्हारी सौतेली माँ की मृत्यु से पहले, उसने उन्हें कहा था, 'मैं बहुत भाग्यशाली हूँ कि मेरी यह सबसे बड़ी बेटी है! उसने मुझे खाना खिलाया, मेरे घर की सफाई की, और मेरा चेहरा धोया। मैंने पहले उसके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया, फिर भी उसने न केवल मुझे माफ़ कर दिया, बल्कि मेरे साथ अच्छा व्यवहार किया और मेरी मदद की।'"

मेरे रिश्तेदारों को मेरी सौतेली माँ के दुर्व्यवहार के बारे में पता था। मेरी सौतेली मौसी ने मुझसे पूछा, "क्या तुम्हें उससे बिलकुल भी नफरत नहीं है?" मैंने जवाब दिया, "क्योंकि मैं फालुन दाफा का अभ्यास करती हूँ, इसलिए मैंने उसके प्रति अपनी नफरत से छुटकारा पा लिया है। अब, मुझे उसके लिए बस तरस आता है। हो सकता है कि मैंने अपने पिछले जन्म में उसके साथ बुरा व्यवहार किया हो, और यह एक ऐसा कर्ज है जिसे मुझे चुकाना था।" मेरी बातें सुनने के बाद, मेरी मौसी ने गंभीरता से कहा, "ऐसा लगता है कि फालुन गोंग कोई साधारण अभ्यास नहीं है। तुमने पहले भी कई बार इसका उल्लेख किया है, लेकिन मैंने तुम्हारी बातों को दिल पर नहीं लिया। आज, तुम्हरी करुणा को देखने के बाद, मुझे आखिरकार तुमपर विश्वास हो गया है। मैं तुम्हारी सलाह मानूँगी और खुद तुम्हारे मौसाजी के साथ अपनी सी.सी.पी सदस्यता त्याग दूँगी।" जब मैंने उनसे कहा कि मौसाजी को भी इस निर्णय से सहमत होना चाहिए, और सदस्य्ता वापस लेने से पहले उनसे पूछना चाहिए, तो मेरी मौसी ने मुझे आश्वस्त किया कि उन्हें विश्वास है कि वे सहमत होंगे।

शरीर और स्वास्थ्य में परिवर्तन

दाफा साधना से पहले, मेरे स्वर यंत्र के पास एक गांठ बढ़ रही थी। कई अस्पतालों के विशेषज्ञों ने इसे हटाने के लिए सर्जरी की सलाह दी, लेकिन वे इस बात की गारंटी नहीं दे सके कि मेरी स्वरयंत्र को कोई नुकसान नहीं होगा। अपनी आवाज़ खोने के डर के कारण मैंने बार-बार सर्जरी को टाल दिया। फालुन दाफा का अभ्यास करने के बाद, गांठ बिना किसी निशान के गायब हो गई।

मैंने बचपन से ही देखा था कि मेरे कानों की बनावट दूसरों से बहुत अलग थी। सुन्न महसूस होने के अलावा, मेरे दाहिने कान की नली बहुत उथली थी। मेरे बाएँ कान के विपरीत, जब मैं अंदर छूने की कोशिश करती, तो मुझे एक झिल्ली महसूस होती जो बाकी नली को बंद कर रही थी। एक दिन मैंने मास्टरजी से कहा, "मास्टरजी, अगर यह मेरे कर्मों के कारण है, तो मुझे इसे सहने दें। यदि नहीं, तो कृपया इसे साफ करने में मेरी मदद करें।"

एक रात, मैंने सपना देखा कि एक बड़ा हाथ मेरे मुंह में घुसा और सड़े हुए मांस का एक टुकड़ा फाड़ दिया। अगले दिन, मेरे कान में दर्द होने लगा और खून बहने लगा। दो दिन बाद, दर्द और बढ़ गया, जिससे मेरे सिर में सूजन और दर्द होने लगा। इस मोड़ पर, मैंने एक कान को कुरेदा और अपने दाहिने कान से मांस का एक टुकड़ा निकाला, जो दिखने में मेरे सपने में दिखाई देने वाले सड़े हुए मांस जैसा था। उसके बाद, मेरे दाहिने कान की नलिका मेरे बाएं कान की तरह ही खुली हुयी लगी और तीन दिनों तक खून बहने के बाद अपने आप ठीक हो गयी। मैं बचपन से ही लगातार माइग्रेन से पीड़ित थी, और मेरे कान के ठीक होने के बाद ये माइग्रेन जादुई रूप से गायब हो गया। मेरा शरीर अब हल्का और रोग मुक्त है, और मेरे पीले रंग की त्वचा की जगह गुलाबी चमक आ गई है।

मेरा एक रिश्तेदार है जो सी.सी.पी. का सदस्य है। मैंने उसे फालुन गोंग के दमन के पीछे की सच्चाई कई बार समझायी थी, लेकिन कभी भी उसकी स्वीकृति नहीं मिली। एक दिन, जब मैं उसे फिर से समझाने की कोशिश कर रही थी, तो उसने कहा, "आपको एक और शब्द कहने की ज़रूरत नहीं है। आपका बेहतर शारीरिक स्वास्थ्य मुझे समझाने के लिए पर्याप्त है। आपका रंग पहले भूरा हुआ करता था, लेकिन अब आप पूरी तरह से स्वस्थ दिखती हैं। कृपया मुझे पार्टी छोड़ने में मदद करें!" उसने यह भी कहा, "वास्तव में, आपके मास्टरजी जो सिखाते हैं वह पूर्वजों द्वारा दिए गए ज्ञान के समान है। ये शिक्षाएँ सत्य हैं और मैं उन पर विश्वास करता हूँ।"

मास्टरजी की सुरक्षा से खतरे से बचाव 

अपने आरंभिक साधना चरण के दौरान, मैं एक साथी अनुभवी साधक से मिली। दुष्ट सी.सी.पी. के लिए काम करने वाले अधिकारियों ने इस साधक को सहयोग करने के लिए मजबूर करने की कोशिश की, ताकि ब्रेनवॉशिंग केंद्रों में अन्य साधकों का ब्रेनवॉश करने में मदद मिल सके। हालाँकि, इस व्यक्ति ने सहयोग करने से इनकार कर दिया। वह अपने दाफा से जुड़ी सामग्री मेरे घर पर सुरक्षित रखने के लिए ले आया और फिर अधिकारियों से छिप गया।।

कुछ समय बाद, 610 कार्यालय को दूरसंचार रिकॉर्ड से पता चला कि उसने मुझसे संपर्क किया था। पाँच या छह पुलिस अधिकारी मेरे घर की तलाशी लेने के लिए निकले। फिर भी जैसे ही वे मेरे दरवाजे के पास पहुँचे, मेरे पड़ोसी ने उनमें से एक को यह कहते हुए सुना, "क्या यह अनुचित नहीं है कि हम सिर्फ़ एक फ़ोन कॉल के आधार पर किसी व्यक्ति के घर में घुस जाएँ? आइए पहले उसकी कार्य विभाग के अधिकारी से संपर्क करें।" इसके बाद वे बिना अंदर घुसे ही चले गए। अगर वे जबरन मेरे घर में घुसे होते, तो उन्हें हर जगह सच्चाई को स्पष्ट करने वाले पर्चे, सीडी और कम्युनिस्ट पार्टी पर नौ टिप्पणियों की प्रतियाँ साफ़-साफ़ दिखाई देतीं।

बाद में वे मेरे कार्यस्थल पर आए और मेरे कार्य विभाग के बड़े अधिकारी और सहकर्मियों का साक्षात्कार लिया। सभी ने कहा कि मैं एक ईमानदार व्यक्ति थी, और दावा किया कि उन्होंने कभी मेरे बारे में फालुन गोंग का अभ्यास करते हुए नहीं सुना था। इस तरह, मैं अधिकारियों के दमन से बच गयी। इस घटना के बारे में सुनकर मैं डर गयी और हैरान रह गयी, लेकिन भावुक भी हो गयी। मास्टरजी ने सभी खतरों से मेरी रक्षा की।

एक बार, एक मेले में सत्य को स्पष्ट करते समय, एक चोर ने मेरा बैग चुरा लिया, जो मेरी साइकिल के हैंडल पर लटका हुआ था। बैग के अंदर सत्य स्पष्टीकरण सामग्री और मेरा मोबाइल फोन था। मेरे मोबाइल फोन से, चोर ने दुर्भावना पूर्वक फालुन दाफा अभ्यासी के रूप में अधिकारियों को शिकायत कर दी। जब सरकारी कर्मियों ने जांच में सहयोग करने के लिए मेरे कार्य विभाग अधिकारी से संपर्क किया, तो मेरे कार्य विभाग अधिकारी ने उनसे कहा, "वह कई साल पहले सेवानिवृत्त हो गई थी। कोई नहीं जानता कि उसका नया घर कहाँ है। हम उसे कैसे खोजेंगे?" मेरे कार्य विभाग अधिकारी ने चतुराई से मेरी रक्षा करने में मदद की, और अधिकारियों ने जल्द ही मामला छोड़ दिया।

मास्टरजी ने मेरे साधना पथ की व्यवस्था की है और मेरे सामने आने वाले सभी खतरों का समाधान किया है। मैं मास्टरजी के वचनों पर ध्यान देना जारी रखूँगी, सुधार करूँगी, ज्यादातर लोगो को बचाऊँगी, और मास्टरजी की करुणा का ऋण चुकाऊँगी।