(Minghui.org) मेरी उम्र 89 वर्ष है और मैंने 1998 के वसंत में फालुन दाफा का अभ्यास शुरू किया था। मुझे हृदय संबंधी समस्याएँ थीं और मैंने एक पारंपरिक चीनी चिकित्सक से परामर्श लिया और कुछ समय तक हर्बल सूप पिया। लेकिन उनका कोई असर नहीं हुआ। एक दिन पहाड़ी रास्ते पर पैदल यात्रा करते हुए, मैं एक फालुन दाफा अभ्यास स्थल के पास से गुज़री। एक परिचित ने मेरा परिचय कराया, और मैंने ज़ुआन फालुन की एक प्रति लेने का निश्चय किया।

इन सभी वर्षों में, मुझे एक भी गोली या इंजेक्शन लेने की ज़रूरत नहीं पड़ी। मैं ऊर्जावान हूँ और मेरा स्वास्थ्य उत्तम है। 80 वर्ष की आयु में भी, मैं अकेली रहती हूँ और घर पर कोई दवा नहीं है। विशेष रूप से महामारी के दौरान, मेरे रिश्तेदारों ने इस अभ्यास से मुझे हुए असाधारण लाभों को देखा। वे फालुन दाफा का सम्मान करते हैं।

मेरी दूसरी बेटी, जो 68 साल की है, ने एक बार मुझसे कहा था: "माँ, आप कमाल की हैं! आप रोज़ इतना पैदल चलती हैं और सीढ़ियाँ चढ़ते हुए भी थकती नहीं हैं। मैं एक बार खरीदारी करने जाती हूँ और बहुत थक जाती हूँ।"

चाहे सर्दी कितनी भी ठंडी हो या गर्मी, जब तक कोई खास काम न हो, मैं बस एक सादा नाश्ता करती हूँ और सुबह जल्दी निकल जाती हूँ। मैं सड़क के किनारे टहलती हूँ और अपने शहर के पार्कों, सुपरमार्केट और गलियों में जाकर सच्चाई बताती हूँ ।

मैं अन्य अभ्यासियों के साथ आस-पास के गाँवों में लगने वाले मेलों में भी जाती हूँ ताकि लोगों को दाफ़ा के बारे में बता सकूँ। हर बार बाहर जाने से पहले, मैं  मास्टर ली के चित्र के सामने खड़ा होती हूँ, अपनी छाती के सामने हाथ जोड़ती हूँ और कहती हूँ, " मास्टरजी, कृपया आज मुझे पूर्वनिर्धारित लोगों से मिलवाने की व्यवस्था करें। मैं सत्य को स्पष्ट करने और मास्टरजी की जीवों को बचाने में मदद करने जा रही हूँ।"

मैं यह बताना चाहती हूं कि जब मेरा जीवन खतरे में था, तो हमारे दयालु और महान मास्टरजी ने एक बार फिर मुझे बचाया।

14 फ़रवरी, 2025 को, मैं एक अभ्यासी को कुछ देने गई थी। लगभग 10 बजे, घर लौटते समय, पूर्व दिशा से नीचे की ओर आ रही एक बस एक तिपहिया वाहन से टकरा गई। मैं सड़क के पश्चिमी किनारे पर चल रही थी कि अचानक मेरा सिर इधर-उधर घूम गया और मुझे अपने पीछे कुछ होने का आभास हुआ। मैं सहज ही चिल्लाई, "मास्टरजी, कृपया मुझे बचा लीजिए! मैं ठीक हूँ! मैं ठीक हूँ!" अगले ही पल, मुझे किसी चीज़ ने छुआ और मैं ज़मीन पर गिर पडी।

जब मैं उठी, तो मैंने देखा कि मेरे सामने, मुश्किल से एक फुट की दूरी पर, एक तिपहिया वाहन पड़ा है। तभी मुझे एहसास हुआ कि कोई दुर्घटना हुई है।

तिपहिया वाहन वाला आया और मुझे उठाने की कोशिश करने लगा। लेकिन मैंने कहा, "रुको!" मैं धीरे-धीरे खुद ही बैठ गई और उसकी मदद से धीरे-धीरे खड़ा भी हुई। उसके पैर काँप रहे थे। मैंने उससे कहा, "मैं एक फालुन दाफा अभ्यासी हूँ। चिंता मत करो, मैं तुम्हें दोष नहीं दूँगी!" मैंने अपने हाथ-पैर हिलाए। कुछ भी टूटा हुआ नहीं लग रहा था, इसलिए मैंने उससे कहा कि मैं घर जाऊँगी।

उस आदमी ने मुझे अस्पताल जाने के लिए ज़ोर दिया, लेकिन मैंने मना कर दिया। बस ड्राइवर ने पहले ही दुर्घटना की सूचना दे दी थी और वह भी आ गया, लेकिन मुझे जाने नहीं दिया। दो ट्रैफ़िक पुलिस अधिकारी जल्द ही आ गए और मेरे परिवार को बुलाया। मेरे परिवार और पुलिस अधिकारी मुझे एक स्थानीय अस्पताल ले गए। पूरी जाँच के बाद, डॉक्टर ने पुष्टि की कि मेरी कोई हड्डी नहीं टूटी है। उन्होंने मुझे कुछ दिन निगरानी में रहने की सलाह दी, लेकिन मैंने सोचा कि डॉक्टरों को दूसरों का भी ध्यान रखना चाहिए और खर्च कम करना चाहिए, इसलिए मैं उसी शाम वहाँ से चली गई।

घर लौटने के बाद, मेरी दूसरी बेटी ने मेरे शरीर के बाईं ओर चोट के निशान, पैर में सूजन और हाथ के पिछले हिस्से पर दो छोटे-छोटे खुले घाव देखे। लेकिन मेरे फ़ा अध्ययन और व्यायाम पर कोई असर नहीं पड़ा। मेरे दामाद ने बाद में मुझे बताया कि डॉक्टर ने कहा था, "आपकी सास 89 साल की हैं, लेकिन उनके अंदरूनी अंग 60 साल की महिला जैसे दिखते हैं। वह बिल्कुल स्वस्थ हैं!"

दुर्घटना स्थल को याद करते हुए, ऐसी कई चीज़ें थीं जिनकी व्याख्या आधुनिक विज्ञान भी नहीं कर सकता। मेरे परिवार और दोस्तों, सभी को लगा कि यह सचमुच एक चमत्कार था! मुझे पता था कि उस नाज़ुक घड़ी में, मास्टरजी ने अपनी सुरक्षा बढ़ाई और मेरी जान बचाई। मैं उनकी करुणामयी देखभाल के लिए तहे दिल से आभारी हूँ।

इस घटना के माध्यम से, मेरे परिवार ने देखा कि मास्टरजी की देखरेख में फालुन दाफा अभ्यासियों को कितनी चमत्कारी सुरक्षा मिलती है। उन्होंने अपने पिछले नास्तिक विचारों को बदल दिया और अब मेरी साधना का पूरा समर्थन करते हैं। जब दूसरे अभ्यासी मेरे घर आते हैं, तो मेरी बेटियाँ उनका गर्मजोशी से स्वागत करती हैं।

मैं प्रतिदिन अपने शब्दों और कार्यों का परीक्षण करती हूँ और स्वयं को विकसित करती हूँ। जब भी मुझे कोई चीज़ फ़ा के अनुरूप नहीं लगती, मैं उसे तुरंत सुधारती हूँ। मैं अपने व्रतों को पूरा करने, तीनों कार्य अच्छी तरह करने और एक योग्य दाफ़ा शिष्य बनने का प्रयास करती हूँ जो मास्टरजी के साथ घर लौटता है।

मैं मास्टरजी की दयालु मुक्ति के लिए सदैव आभारी हूँ!