(Minghui.org) मैंने कोविड-19 महामारी के दौरान फालुन दाफा का अभ्यास शुरू किया। मैंने दाफा के सिद्धांतों को चरणबद्ध तरीके से समझा और स्वीकार किया। कुछ चमत्कारी घटनाओं को याद करके और कुछ वास्तविक जीवन के उदाहरणों को देखकर, मैंने बचपन से अपने अंदर बसी नास्तिकता को दूर किया और मास्टरजी और दाफा में अपने विश्वास को और मज़बूत किया।
फालुन दाफा ने मुझे जीवन का अर्थ खोजने में मदद की
मानव जीवन का उद्देश्य क्या है? मृत्यु के बाद हम अपने पीछे क्या छोड़ जाते हैं? क्या हम जिस चीज़ के लिए प्रयास करते है, वह सचमुच वही है जो हम चाहते है ? हममें से कई लोगों ने इन सवालों पर विचार किया है। महामारी के दौरान, हमने न जाने कितने लोगों की जान जाते देखी है। अदृश्य विषाणुओं और महामारियों के सामने, मानवता क्या कर सकती है? हमें किस पर विश्वास करना चाहिए?
मैं जितना निराश महसूस कर रही थी, इन सवालों के जवाब पाने की मेरी इच्छा उतनी ही प्रबल होती जा रही थी। मैंने बौद्ध धर्म का अध्ययन शुरू किया और पाया कि धूप जलाना, सूत्रों का पठन करना, शाकाहारी भोजन करना और जानवरों की जान बचाना, ये सब सांसारिक चीज़ों की तलाश है। हम परिवार की खुशहाली, सुरक्षा, स्थिर जीवन, या सफलता और धन-संपत्ति चाहते हैं। क्या मैं यही चाहती थी? मैं बहुत उलझन में थी।
मैंने देखा कि मेरे आस-पास के फालुन दाफा अभ्यासी इसके विपरीत कर रहे थे। वे दूसरों को बचाने के लिए समर्पित थे, न कि मानव संसार में अपने लिए सुख-सुविधाएँ ढूँढ़ने के लिए। उन्होंने लोगों को सच्चाई बताने के लिए अपना पैसा खर्च किया, गिरफ़्तारी और उत्पीड़न का जोखिम उठाया। आज के समाज में, जहाँ लोग अपने स्वार्थ के बारे में चिंतित हैं, उनका लक्ष्य क्या था और वे क्या खोज रहे थे?
इतने सारे सवालों के साथ, मैंने ज़ुआन फालुन की एक प्रति खोली जो मेरे घर में काफी समय से रखी हुई थी। मैंने किताब को ध्यान से पढ़ा और ज़िंदगी के कई सवालों के जवाब पा लिए। जो पहेलियाँ मुझे हमेशा से उलझाए रखती थीं, वे भी सुलझ गईं।
इंटरनेट फ़ायरवॉल को तोड़ने के बाद मुझे और जानकारी मिली। पता चला कि फालुन दाफा 1992 से सिखाया जा रहा है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के दमन के बावजूद, यह 100 से ज़्यादा देशों में फैल चुका है।
"हवा और बारिश में यात्रा" देखने के बाद मेरी आँखें भर आईं। मास्टरजी की कृपा और उत्पीड़न का प्रतिरोध करने में अभ्यासियों की दृढ़ता देखकर मैं भावुक हो गयी। मुझे अफ़सोस हुआ कि मैंने इतने सारे मौके गँवा दिए।
“देखो! वहाँ एक फालुन है!”
एक शाम मैं कुछ अभ्यासियों के साथ दाफ़ा अभ्यास कर रही थी। आमतौर पर मैं यह नहीं बता पाती थी कि मेरी व्यायाम गतिक्रियाये सही हैं या नहीं, लेकिन इस बार एक अभ्यासी ने सुझाव दिया कि हम अपने समूह द्वारा अभ्यास करते हुए रिकॉर्डिंग करें, ताकि हम बाद में सुधार के लिए उसकी समीक्षा कर सकें।
अभ्यासी ने एक पुराना मोबाइल फ़ोन निकाला और उसके नाइट मोड पर रिकॉर्डिंग शुरू कर दी। हमने लाइटें बंद कर दीं और सबने अपनी आँखें बंद करके अभ्यास शुरू कर दिया। हमने अभ्यास के पाँच सेट पूरे किए, फ़ोन रख दिया और साथ-साथ घर चले गए।
रास्ते में, दूसरे अभ्यासी यह देखने के लिए वीडियो देख रहे थे कि उनकी व्यायाम गतिक्रियाये सही थीं या नहीं। एक अभ्यासी अचानक उत्साह से चिल्लाया, "देखो! फालुन! यह एक फालुन है!" मैं करीब से देखने के लिए झुका, और निश्चित रूप से, अलग-अलग दिशाओं से, स्क्रीन पर तेज़ी से घूमते हुए, विभिन्न आकारों के गोलाकार, पारदर्शी फालुन (सिद्धांत चक्र) प्रकट हुए। जब हम अभ्यास में अधिक एकाग्र थे, तो अधिक फालुन दिखाई दिए, और वे अधिक विशिष्ट थे। जब हमारा ध्यान भंग हुआ, या हमारी व्यायाम गतिक्रियाये गलत थीं, तो कम फालुन दिखाई दिए।
मैंने इसे पहली बार देखा था, और यह वाकई अद्भुत लगा। मैं फ़ोन घर ले आई और वीडियो अपने कंप्यूटर पर डाउनलोड कर लिया। फ़ोन पुराना था और उसका रेज़ोल्यूशन कम था, फिर भी मैं फालुन को घूमते हुए देख सकती थी। मैंने अपने पति और परिवार के अन्य गैर-अभ्यास करने वाले सदस्यों से इसे देखने के लिए कहा।
सीसीपी की नास्तिकता से प्रभावित होकर, मेरे पति को संदेह हुआ और उन्होंने तरह-तरह के बहाने बनाते हुए कहा, "क्या तुमने वीडियो लेने के बाद इमेज प्रोसेस की थी? बैकग्राउंड इफेक्ट्स तो सेट किए जा सकते हैं।" मैंने उन्हें बताया कि यह एक पुराना फ़ोन है जिसमें इंटरनेट कनेक्शन नहीं है और इसमें स्पेशल इफेक्ट्स की कोई सेटिंग नहीं है। यह देखकर कि उनके पास कोई और स्पष्टीकरण नहीं है, उन्होंने बात करना बंद कर दिया और चले गए।
बाद में जब मैं अकेले व्यायाम कर रही थी, तो मैंने व्यायामों की वीडियो रिकॉर्डिंग के लिए भी यही तरीका अपनाया। जब व्यायाम संगीत शुरू हुआ, तो मैं फालुन को घूमते हुए देख सकती थी। मुझे बड़े फालुन के अंदर श्रीवत्स (धर्म चक्र) का प्रतीक भी धुंधला दिखाई दे रहा था। वे नीले, हरे, लाल और अन्य रंगों में थोड़े पारदर्शी थे। यह सचमुच अद्भुत था!
मानवता एक भूलभुलैया में फँसी हुई है। हमें बचपन से ही नास्तिकता की शिक्षा दी जाती है, और लोग उन बातों पर विश्वास नहीं करते जिन्हें आधुनिक विज्ञान समझा नहीं सकता। यह वाकई दयनीय है। इंसानी आँखें दूसरे आयामों की चीज़ें नहीं देख सकतीं, जबकि मोबाइल फ़ोन कुछ खास परिस्थितियों में देख सकता है। वायरस इंसानी आँखों के लिए अदृश्य होते हैं, लेकिन उन्हें माइक्रोस्कोप से देखा जा सकता है। चीज़ें अदृश्य होने पर भी मौजूद होती हैं।
मैं मास्टरजी की आभारी हूँ कि उन्होंने मुझे नरक से बाहर निकाला, मुझे शुद्ध किया और मुझे साधना का मार्ग दिखाया। इसके बाद मेरा जीवन सार्थक हो गया है।
कॉपीराइट © 1999-2025 Minghui.org. सर्वाधिकार सुरक्षित।