(Minghui.org) नमस्कार,मास्टर ! नमस्कार, साथी अभ्यासियों!

2013 के अंत में, मैंने सत्य को स्पष्ट करने के लिए अपने मोबाइल फोन का उपयोग करना शुरू किया। मेरे पास तीन फोन थे। दो फोन पहले से रिकॉर्ड किए गए संदेशों के साथ स्वचालित कॉल करते थे, और दूसरे फोन का उपयोग लोगों को सीधे कॉल करने के लिए किया जाता था। मैं आमतौर पर हर दिन कॉल करने के लिए बाहर जाती हूँ, चाहे बारिश हो या धूप। मास्टरजी की कृपापूर्ण सुरक्षा के साथ, मैं आज तक यह सब पायी हूँ। मैं आपको अपने अनुभवों के बारे में बताना चाहती  हूँ।

फ़ोन के लिए सिम कार्ड ख़रीदना

शुरुआत में, ज़्यादातर स्थानीय अभ्यासियों ने इस परियोजना में भाग लिया। हमने प्रीपेड सिम कार्ड खरीदे। यह बहुत सुविधाजनक और सुरक्षित था, और हमें उन्हें खरीदने के लिए अपना पहचान पत्र दिखाने या अपनी तस्वीरें खिंचवाने की ज़रूरत नहीं थी। कुछ सालों तक सब कुछ बहुत आसानी से चलता रहा। मैं अक्सर कॉल करने के लिए तीन अन्य अभ्यासियों के साथ बाहर जाती थी।

जब कोई व्यक्ति चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) छोड़ने के लिए सहमत होता है, तो इससे हमें अपने प्रयास जारी रखने के लिए प्रोत्साहन मिलता था। एक अभ्यासी लोगों को सीसीपी छोड़ने के लिए राजी करने में बहुत अच्छी थी। एक दिन उसने 60 लोगों को सीसीपी छोड़ने में मदद की। कभी-कभी हम सूर्यास्त तक घर नहीं जाते थे।

हालाँकि, जैसे-जैसे अधिक से अधिक अभ्यासी फ़ोन कॉल करने लगे, सीसीपी ने हमें रोकने की कोशिश की। जो कोई भी नया सिम कार्ड खरीदता था, उसे अपना पहचान पत्र दिखाना पड़ता था और अपनी फ़ोटो खिंचवानी पड़ती थी, और हम एक बार में केवल एक ही कार्ड खरीद सकते थे। अचानक हुए इस बदलाव से हम चौंक गए। हमने अपने भीतर देखा और पाया कि हम कार्ड को इतना महत्व नहीं देते थे क्योंकि उन्हें पाना बहुत आसान था।

सिम कार्ड खरीदने में असमर्थ होने के कारण, अधिकांश अभ्यासी अन्य परियोजनाओं में चले गए। लेकिन हम चारों ने हार नहीं मानी और इसे जारी रखने का फैसला किया। हम बिना यात्रा किए चीन भर में लोगों तक पहुँच सकते थे।

मास्टरजी ने हमारे सच्चे दिल को देखा और हमारी मदद की। मैं उस दुकान पर गया जहाँ से मैंने पहले कार्ड खरीदे थे। मैं वहाँ कई बार गयी थी, मालकिन मुझे पहले से जानती थी। मैंने उससे कहा कि मैं कार्ड खरीदना चाहती हूँ, लेकिन मैं उसे अपना पहचान पत्र नहीं दिखा सकती या अपनी फ़ोटो नहीं खिंचवा सकती। उसने एक अन्य ग्राहक से मदद करने के लिए कहा। उसने मेरी ओर इशारा करते हुए कहा, “वह एक अच्छी इंसान है। लेकिन उसके पास उसका पहचान पत्र नहीं है। क्या हम उसके लिए दो कार्ड खरीदने के लिए आपकी पहचान पत्र का उपयोग कर सकते हैं?” उसने सहमति जताई। मेरी मदद करने के लिए मैं मास्टरजी की आभारी थी।

बाद में एक अन्य अभ्यासी भी दुकान पर गई और उसने मालकिन से पूछा कि क्या वह बिना पहचान पत्र दिखाए कार्ड खरीदने के बेहतर तरीके जानती है। हुआ यूँ कि मालकिन कुछ सामान खरीदने के लिए शहर जा रहा थी। उसने अपने एक परिचित डीलर से पूछा और वह हमारी पहचान पत्र देखे बिना कार्ड उपलब्ध करा सकता था। हम जितने चाहें उतने कार्ड खरीद सकते थे और हम अपनी पहचान बताए बिना उनमें पैसे जोड़ सकते थे।

यह बहुत अच्छी खबर थी। बहुत से अभ्यासी कार्ड खरीदने के लिए डीलर के पास गए और फ़ोन कॉल करना जारी रखा। हम जानते थे कि मास्टरजी हमारी मदद कर रहे हैं।

कॉल करने में दृढ़ता

एक दिन, समन्वयक ने हमें बताया कि सीसीपी एक और दमन का अभियान शुरू करने वाला था और हमें कुछ समय के लिए कॉल करना बंद करने के लिए कहा। हम चारों ने इस पर चर्चा की और कहा, "हमारे सत्य-स्पष्टीकरण कॉल लोगों को बचा सकते हैं। यही मास्टरजी चाहते हैं। कोई भी हमें ऐसा करने से नहीं रोक सकता।" हमने अपने सद्विचारों को मजबूत किया और काम जारी रखा।

मास्टरजी ने कहा है ,

“पुरानी ताकतें हमारे द्वारा सत्य को स्पष्ट करने या लोगो को बचाने का विरोध करने की हिम्मत नहीं करेंगी। महत्वपूर्ण बात यह है कि जब आप कोई काम करते हैं तो उन्हें आपकी मनःस्थिति में मौजूद कमी का फ़ायदा न उठाने दें।” (“बोस्टन, यूएसए में 2002 के सम्मेलन में दी गई फ़ा शिक्षा,” दुनिया भर में दी गई एकत्रित शिक्षाएँ खंड II)

2020 की शुरुआत में, कोविड महामारी फैल गई और अधिकांश शहरों में सख्त लॉकडाउन लगा दिया गया, जिसमें हमारा शहर भी शामिल था। मेरे पड़ोस में एक अभ्यासी रहती है, इसलिए हमारे लिए मिलना बहुत सुविधाजनक था। हमें लगा कि हमें लॉकडाउन की वजह से नहीं रोका जाना चाहिए। हमारे दृढ़ सद्विचारों और मास्टरजी की सुरक्षा के साथ, हम हर दिन बाहर जाने और लोगों को कॉल करना जारी रखने में कामयाब रहे।

फिर अप्रैल 2021 में, सीसीपी ने “ज़ीरो-आउट” उत्पीड़न अभियान शुरू किया, जिसमें अपनी “ब्लैक लिस्ट” में शामिल हर अभ्यासी को “फालुन दाफा” को त्यागने के लिए मजबूर करने की कोशिश की गई। एक रात लगभग 6 बजे, किसी ने हमारे दरवाज़े पर दस्तक दी, और कहा,” “मैं पुलिस स्टेशन से हूँ और मुझे आपसे बात करनी है।”

उन्होंने आने से पहले एक अन्य साधक को परेशान किया था, उसका विडियो बनाया, और उसे फालुन दाफा त्यागने के लिए एक बयान लिखने के लिए धमकाने की कोशिश की। मैंने सब सुना था, इसलिए मैंने अपने पति को पुलिस के आने पर दरवाजा खोलने से रोक दिया। मैंने उनसे कहा कि मैं उनसे बात नहीं करूँगी। अगर मैंने उन्हें अंदर आने दिया होता, तो मैं उन्हें मेरे खिलाफ अपराध करने की अनुमति देती। वे चले गए।

अगले दिन जब मैं फ़ोन करने के लिए बाहर जाने वाली थी, तो मेरे पति पहले बाहर गए और पुष्टि की कि बाहर कोई पुलिस नहीं है। मैंने सच्चाई को स्पष्ट करने की अपनी रोज़ाना की दिनचर्या जारी रखी।

कहानी के माध्यम से प्रभावी सत्य-स्पष्टीकरण

जब मैं कॉल करती, तो मैं “फालुन दाफा” के बारे में बुनियादी तथ्यों को समझाती और बताती कि लोगों को सीसीपी और उसके सम्बन्धित संगठनों से क्यों अलग हो जाना चाहिए। स्थिति के आधार पर, मैं लोगों को तथ्यों को समझने में मदद करने के लिए अलग-अलग कहानियाँ सुनाती हूँ।

महामारी के दौरान, मिंगहुई वेबसाइट ने कई लेख प्रकाशित किए, जिनमें बताया गया कि कैसे लोग यह वाक्य “फालुन दाफा अच्छा है, और सत्य-करुणा-सहनशीलता अच्छा है।” का उच्चारण करके कोविड से ठीक हो गए या बिल्कुल भी संक्रमित नहीं हुए : मैंने अक्सर कॉल के दौरान इन कहानियों के बारे में बात की और परिणाम बहुत अच्छे निकले।

कभी-कभी मैं अपने परिवार के सदस्यों की कहानियाँ सुनाती थी। मेरी भाभी का पूरा परिवार वायरस से पॉजिटिव पाया गया, लेकिन वह ठीक थी क्योंकि वह वाक्यांशों को दोहरा रही थी। भले ही उसकी उम्र 70 वर्ष से ज्यादा है, फिर भी वह बहुत स्वस्थ है और घर के अधिकांश काम करती है।

एक और कहानी मेरी बहन के बारे में थी, जो पहाड़ के पास एक छोटे से गाँव में रहती थी। एक साल, भूस्खलन हुआ। जिस समय उसका घर डूबने वाला था, वह चिल्लाई, “फालुन दाफा अच्छा है! सत्य, करुणा और सहनशीलता अच्छा है!” जब वह यह कह रही थी तब जैसे कि कीचड़ युक्त पानी की आँखें हों, उसके घर के सामने से मुड़ गया और दूर बह गया।

कभी-कभी मैं अपने बारे में भी कहानियाँ सुनाती हूँ। मेरा स्वास्थ्य बहुत खराब रहता था। मैंने कई तरह के उपचार किए और बहुत सारा पैसा खर्च किया, लेकिन कुछ भी फायदा नहीं हुआ। फालुन दाफा का अभ्यास शुरू करने के कुछ समय बाद ही मैं ठीक हो गयी और तब से मैं अच्छे स्वास्थ्य का आनंद ले रही हूँ।

अपने डर पर काबू पाना

जब मैंने पहली बार कॉल करना शुरू किया, तो मुझे लगातार इस बात की चिंता लगी रहती थी कि कहीं मेरी निगरानी न कर ली जाए या मेरी शिकायत न कर दी जाए। जब लोग मुझसे बात करना बंद कर देते थे और मैं दूसरी बार जब मै कॉल करती थी और अगर उस व्यक्ति की लाइन व्यस्त होती थी, तो मेरा डर सामने आ जाता था और मुझे चिंता होती थी कि कहीं वह मेरी शिकायत करने के लिए तो फोन नहीं कर रहा है। मैं आमतौर पर सिम कार्ड बदल देती थी।

कभी-कभी कॉल का जवाब देने वाला व्यक्ति मुझे धमकाता था, कुछ इस तरह की बातें कहता था, “क्या तुम जानते हो कि मैं कौन हूँ? तुमने मुझे यह बताने की हिम्मत कैसे की?!” कुछ लोग कहते थे, “मैं तुम्हारी शिकायत करने जा रहा हूँ।” दूसरों ने कहा, “यह सेल फ़ोन नंबर तुम्हारा है ना? मैंने यह नंबर याद कर लिया है, बस इंतज़ार करो।”

अपने भय से परेशान होकर, मैंने बाधा डालने वाले कारकों को दूर करने के लिए सद्विचारों को भेजने की कोशिश की, लेकिन मुझे अपने भय पर पूरी तरह से काबू पाना बहुत कठिन लगा।

फ़ा का अध्ययन करके, मुझे समझ में आया कि डर लगने की जड़ स्वार्थ है।  शिकायत किये जाने का मेरा डर इसलिए था क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि मुझे कोई नुकसान पहुँचाए। मैं सिर्फ़ अपने बारे में सोच रही थी  और लोगो की सुरक्षा के बारे में नहीं सोच रही थी।

डर मेरा सच्चा विचार नहीं है। मुझे इसे नकारना होगा। अगर लोग मेरी शिकायत करते हैं, तो वे दाफा के खिलाफ अपराध कर रहे हैं। अपनी सुरक्षा के बारे में चिंता करने के बजाय, मुझे इस बात की चिंता करनी चाहिए कि वे खुद को किसी खतरनाक स्थिति में तो नहीं डाल रहे हैं। मेरा डर शायद वही बहाना हो सकता है जिसका इस्तेमाल पुरानी ताकतें लोगो को नष्ट करने के लिए करती हैं।

मास्टरजी ने कहा है ,

“एक सही मन सौ बुराइयों को दबा सकता है। यदि आप किसी चीज़ के पीछे नहीं भागते हैं, तो कोई भी आपको परेशान करने की हिम्मत नहीं करेगा।” (व्याख्यान पाँच, जुआन फालुन)

मास्टरजी के फ़ा ने मेरे सद्विचारों को मज़बूत किया। मैं अपने ह्रदय में जानती थी कि अगर मैं डर को नकारती हूं तो बुराई मुझे सताने की हिम्मत नहीं करेगी। उसके बाद, जब भी मेरे मन में ऐसे विचार आते, मैं तुरंत उन्हें नकार देती, “यह विचार लोगो के लिए हानिकारक है; मैं इसे नहीं चाहती।” मेरा डर चला जाता।

अब जब मैं फोन करती हूं, तो मैं दूसरी तरफ मौजूद लोगों को अपने परिवार के सदस्यों की तरह मानती हूं, और मैं ईमानदारी से उन्हें सुरक्षित रहने का तरीका बताती हूं, अगर वे तथ्यों को समझ गए, तो उनका भविष्य उज्ज्वल होगा।

जैसे-जैसे फ़ा-सुधार आगे बढ़ता रहेगा, मैं फ़ोन कॉल करना जारी रखूँगी, स्वयं अच्छी तरह से साधना करूँगी और अधिक लोगो को बचाऊँगी।