
जब मैं मिंगहुई पर साथी अभ्यासियों के अनुभव-साझा लेख देखता था, तो मुझे भी लिखने की इच्छा होती थी, लेकिन हर बार मानवीय धारणाओं के कारण मै रुक जाता था और इसके लिए तरह-तरह के बहाने बनाता था।

अपने साधना पथ पर पीछे मुड़कर देखने पर, ऐसा लगता है कि चीजें अतीत में खो गई हैं। जो चीज हमेशा मेरे साथ रहती है, वह है मास्टरजी की करुणा। मास्टरजी की असीम करुणा शब्दों से परे है।
20 जुलाई 1999 को न्यूयॉर्क छोड़ने के बाद मास्टर ली पहाड़ों के बीच से शांतिपूर्वक दुनिया को देख रहे हैं। (प्रकाशित 19 जनवरी 2000)

20 जुलाई 1999 को न्यूयॉर्क छोड़ने के बाद मास्टर ली पहाड़ों के बीच से शांतिपूर्वक दुनिया को देख रहे हैं। (प्रकाशित 19 जनवरी 2000)

