(Minghui.org) फालुन दाफा अभ्यासी सुहास, माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष, बजाज कॉलेज ऑफ साइंस, वर्धा के लिए, फालुन दाफा के स्वास्थ्य लाभ और गहनता को साझा करना, जिसे उन्होंने स्वयं अनुभव किया है, अत्यंत महत्वपूर्ण है।
सुहास की मुलाकात वर्धा में श्रीकृष्णदास ग्रामीण विकास महाविद्यालय के एक व्याख्याता से हुई, जिन्होंने सुहास द्वारा अपने सहकर्मियों को फालुन दाफा से परिचित कराने के लिए एक प्रस्तुति देने के विचार का स्वागत किया।
श्रीकृष्णदास ग्रामीण विकास महाविद्यालय में शिक्षक दूसरा फालुन दाफा अभ्यास करते हुए
श्रीकृष्णदास कॉलेज में तीस शिक्षकों ने प्रस्तुति में भाग लिया। उन्होंने स्लाइड प्रस्तुति, अभ्यासों का प्रदर्शन देखा और फिर अभ्यास किया। शिक्षकों ने कहा कि वे फालुन दाफा के बारे में जानने के अवसर के लिए आभारी हैं और वे इस बात से हैरान हैं कि चीन में इतनी सरल और अद्भुत प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
अंग्रेजी की प्रोफेसर बीना सैमुअल ने कहा, “मैं मन और शरीर को विकसित करने की इस सदियों पुरानी पारंपरिक विधि से बहुत प्रभावित हूँ।” “यह विधि अद्भुत है और सीखने के अपने पहले प्रयास में ही मैं अपने मन पर इसका सुखद प्रभाव महसूस कर पा रही हूं। जब मैंने इसका अभ्यास किया तो मुझे तनाव और चिंता से राहत मिली। मेरा सुझाव है कि हर कोई इसका अभ्यास करे क्योंकि यह सबसे आसान तरीकों में से एक है।”
डॉ. सुशील चौहान
शारीरिक शिक्षा विभाग के प्रमुख डॉ. सुशील चौहान ने कहा, “थोड़े ही समय में मैंने मन-शरीर के संबंध का अनुभव किया।” “मुझे लगता है कि व्यायाम और ध्यान के संयोजन ने मुझे ऊर्जा के प्रवाह और मेरे मन के शांत होने का एहसास कराया। ईमानदारी से कहूँ तो यह कुछ ऐसा है जो मैंने पहली बार अनुभव किया।”
प्रोफेसर वैशाली उगले
“यह पहली बार है जब मैंने फालुन दाफा व्यायाम और ध्यान प्रणाली के बारे में सुना है और मैं इसे सीखने का अवसर पाकर खुद को भाग्यशाली मानती हूँ,” लाइब्रेरी और सूचना विज्ञान विभाग की प्रमुख प्रोफेसर वैशाली उगले ने कहा। “मैं सकारात्मक ऊर्जा महसूस कर पा रही थी। व्यायाम तथा ध्यान के माध्यम से शरीर शुद्धिकरण प्रक्रिया के बारे में जानकर बहुत खुश थी की कैसे ध्यान के माध्यम से गहराई में जाकर कोई व्यक्ति तनाव मुक्त जीवन प्राप्त करता है। मैं वास्तव में इस अभ्यास को अपनाना चाहूँगी।”
सेल अकादमी में फालुन दाफा का परिचय
सुहास को पता चला कि सेल अकादमी के शिक्षक और छात्र फालुन दाफा के बारे में जानना चाहते थे। वह 26 जून को इस आध्यात्मिक अभ्यास का परिचय कराने के लिए वहां गई।
सेल अकादमी के छात्र दूसरा अभ्यास सीखते हुए
अकादमी भारतीय, चिकित्सा और दंत चिकित्सा महाविद्यालयों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (NEET) की तैयारी कर रहे छात्रों की सहायता के लिए एक पाठ्यक्रम चलाती है। सुहास ने एक स्लाइड प्रस्तुति दी, व्यायाम का प्रदर्शन किया और चीन में फालुन दाफा अभ्यासियों पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के 23 साल के लंबे उत्पीड़न के बारे में बात की। साठ छात्रों ने अपने शिक्षकों के साथ भाग लिया। छात्र और शिक्षक प्रस्तुति से रोमांचित थे। वे यह वैज्ञानिक और चिकित्सकीय व्याख्या समझ पाए कि व्यायाम और ध्यान का शरीर में ऊर्जा चैनल (नाड़ियो) पर किस तरह प्रभाव पड़ता है।
छात्र पांचवां व्यायाम, ध्यान सीखते हुए
आदित्य मोरे नामक एक छात्र ने कहा कि उन्होंने वास्तव में इस सत्र का आनंद लिया और महसूस किया कि फालुन दाफा केवल ध्यान से कहीं अधिक है। यह मन की एक ऐसी स्थिति विकसित करता है जो दैनिक जीवन को स्वयं को बेहतर बनाने, जिम्मेदारी लेने और दूसरों को प्राथमिकता देने की दिशा में निर्देशित करती है।
छात्र ओम काले ने कहा, “हमारे परिसर में फालुन दाफा सत्र में भाग लेने के बाद, मैंने दो सप्ताह तक अभ्यास किया।” “मैंने पाया कि मेरा दिमाग अधिक स्थिर था और मैं अपनी पढ़ाई में बेहतर ध्यान केंद्रित कर सकता था। इसने निश्चित रूप से मेरी ऊर्जा को बढ़ाया और मुझे एक अलग शारीरिक और मानसिक स्थिति में ले गया। मुझे आश्चर्य है कि चीन की सरकार इतनी अच्छी चीज़ को क्यों रोक रही है।”
छात्र संचित बांकर ने कहा, “मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे हमारी अकादमी में इतनी शानदार गतिविधि में भाग लेने का मौका मिला।” “मुझे यह तकनीक शांत रहने और मन को स्थिर करने के लिए वाकई उपयोगी लगी। मैंने पाया कि सत्र के बाद मैं ज़्यादा केंद्रित हो गया,” उन्होंने कहा।
एक अन्य छात्र प्रतीक कोटाम्बकर ने कहा, “हमारी अकादमी में फालुन दाफा सत्र बहुत आनंदमय और शांतिपूर्ण था। मैंने सीखा कि फालुन दाफा तनाव को कम कर सकता है और स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है। लेकिन जिस बात ने मुझे आकर्षित किया वह यह है कि यह मानसिक और नैतिक स्तर को बढ़ाता है और मानव क्षमता और बुद्धि का विकास करता है।”
दोनों सत्रों में शिक्षकों और छात्रों ने फालुन दाफा के बारे में और अधिक जानने की इच्छा व्यक्त की। विद्यालय के अधिकारियों की मदद से, सुहास भविष्य में विभिन्न समूहों के लिए और अधिक सत्र आयोजित करने की योजना बना रही हैं।
दक्षिण भारत: प्राथमिक विद्यालय के छात्रों को व्यायाम का प्रदर्शन
फालुन दाफा अभ्यासी भारती अपने बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल करने के लिए दक्षिण भारत के उडुपी स्थित अपने गृहनगर लौट आईं। उन्होंने सोचा कि यह उनके गृहनगर में लोगों को फालुन दाफा से परिचित कराने का अवसर हो सकता है। उनका पहला विचार उस विद्यालय में जाने का था जहाँ उन्होंने जूनियर उच्च विद्यालयीन शिक्षण लिया था ।
उन्हें बताया गया कि उन्हें शहर के दूसरे छोर पर एक पर्यवेक्षक से मिलना है। इसलिए वे बस से पर्यवेक्षक के कार्यालय गई और पाया कि वह प्रशासनिक काम में व्यस्त है। वे धैर्यपूर्वक तब तक प्रतीक्षा करती रही जब तक कि उन्हें पर्यवेक्षक से मिलने का समय नहीं मिल गया। परिचय पढ़ने के बाद, पर्यवेक्षक ने उनसे कहा कि वह तुरंत सरकार द्वारा संचालित प्राथमिक विद्यालय में अभ्यास का प्रदर्शन शुरू कर सकती है।
जब भारती विद्यालय गईं, तो शिक्षकों और छात्रों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया और उन्होंने अभ्यासों का प्रदर्शन किया। उन्हें खुशी थी कि बच्चों ने अभ्यास सीखकर इतना अच्छा प्रदर्शन किया और जब उन्होंने ध्यान लगाया तो वे बहुत शांत दिखे। उन्होंने कहा कि उन्हें लगा कि सभी बच्चों का उनके और फालुन दाफा के साथ एक पूर्वनिर्धारित रिश्ता है, इसलिए वे वहां जा पायी ।
छात्र दूसरा अभ्यास सीखते हुए
छात्र पांचवां अभ्यास सीखते हुए
शिक्षकों ने कहा कि वे बहुत भाग्यशाली महसूस कर रहे हैं कि कुछ खास हुआ है, और वे बच्चों को इतना खुश देखकर रोमांचित थे। उन्होंने कहा कि जब बच्चे व्यायाम कर रहे थे, तो वे ऊर्जा महसूस कर रहे थे। कुछ शिक्षकों ने भी ध्यान में भाग लिया। जब शिक्षकों को पता चला कि फालुन गोंग और झुआन फालुन पुस्तकें स्थानीय भाषा, कन्नड़ में उपलब्ध हैं, तो वे बहुत खुश हुए।
प्रदर्शन समाप्त होने के बाद, बच्चे जाने को तैयार नहीं थे और उन्होंने फालुन दाफा संगीत पुडु और जिशी बजाना जारी रखने को कहा । एक छोटी लड़की ने पूछा कि क्या वह संगीत घर ले जा सकती है। शिक्षकों ने यह भी पूछा कि क्या भारती हर शनिवार को वापस आकर अभ्यास का नेतृत्व कर सकती है, और भारती ने उनके अनुरोध पर तुरंत सहमति जताई।
पृष्ठभूमि: फालुन दाफा क्या है और सीसीपी इसका उत्पीड़न क्यों कर रही है?
फालुन दाफा (जिसे फालुन गोंग के नाम से भी जाना जाता है) को पहली बार 1992 में चीन के चांगचुन में श्री ली होंगज़ी द्वारा जनता के सामने पेश किया गया था। आध्यात्मिक साधना अब दुनिया भर के 100 से अधिक देशों और क्षेत्रों में प्रचलित है। सत्य, करुणा और सहनशीलता के सिद्धांतों पर आधारित शिक्षाओं को अपनाने वाले और पाँच अभ्यासों को सीखने वाले लाखों लोगों ने बेहतर स्वास्थ्य और खुशहाली का अनुभव किया है।
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सी.सी.पी.) के पूर्व प्रमुख जियांग जेमिन ने आध्यात्मिक साधना की बढ़ती लोकप्रियता को सीसीपी की नास्तिक विचारधारा के लिए खतरा माना और 20 जुलाई 1999 को उन्होंने इस साधना का उन्मूलन करने का आदेश जारी किया।
जियांग के व्यक्तिगत निर्देशन में, सी.सी.पी. ने 610 कार्यालय की स्थापना की, जो एक गैर-कानूनी सुरक्षा संगठन है, जिसके पास पुलिस और न्यायिक प्रणालियों को पलटने की शक्ति है और जिसका एकमात्र कार्य फालुन दाफा का दमन करना है।
minghui.org ने पिछले 23 सालों में दमन के परिणामस्वरूप हजारों साधकों की मौत की पुष्टि की है। माना जाता है कि वास्तविक संख्या इससे कहीं ज़्यादा है। अनगिनत साधकों को उनके विश्वास के लिए कैद किया गया है और यातनाएँ दी गई हैं।
इस बात के ठोस सबूत हैं कि सी.सी.पी. हिरासत में लिए गए अभ्यासियों के शरीर से अंग निकालने की अनुमति देती है, उनकी हत्या कर दी जाती है और फिर चीन के अंग प्रत्यारोपण उद्योग को अंग की आपूर्ति की जाती है।
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