(Minghui.org) मेरा मानना है कि यह विषय कई अभ्यासियों के लिए परिचित है। और, हालांकि यह मेरे लिए भी परिचित है, परन्तु मैंने कभी इस पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया। अब मैं अभ्यासियों के साथ आम लोगों के टेलीविज़न (टी.वी.) देखने के बारे में अपने हाल ही के साधना अनुभवों को साझा करना चाहूंगी।
मेरा परिवार पैसो के लिए मुझ पर निर्भर है। कई सालों से मैं अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए कोई न कोई साधन ढूँढने में व्यस्त रही हूँ। सारे कामों से मैं थक जाती थी और मैं अपने साधना अभ्यास में ढिलाई बरतती थी ।
मैं बस ज़्यादा पैसे कमाना चाहती थी, क्योंकि न तो मेरे पति और न ही मेरा बेटा ज़्यादा कमाता है। मैंने खुद को यह याद दिलाने की कोशिश की कि पैसे कमाना हमारे आराम के लिए नहीं है, बल्कि इसलिए है ताकि हम अपनी साधना ठीक से कर सकें। मुझे एक घंटे के हिसाब से हाउसकीपर के तौर पर अच्छी नौकरी मिल गई। लेकिन जैसे ही मैंने नौकरी शुरू की, चीज़ें नियंत्रण से बाहर हो गईं।
मैंने एक परिवार से शुरुआत की और कई परिवारों के लिए काम करना शुरू किया। काम से घर आने के बाद, मैं बस आराम करने के लिए सोफे पर बैठे रहना चाहती थी और रात के खाने के बाद अपने परिवार के साथ कुछ समय बिताना चाहती थी। मैंने फ़ा का अध्ययन करने के लिए समय नहीं निकाला, और मैं अपने परिवार के सदस्यों से भी ज़्यादा टी.वी. देखती, जिससे बहुत कीमती समय बर्बाद हो गया।
बाद में, मेरी साधना की स्थिति खराब हो गई। मुझे ध्यान अभ्यास करते समय, सद्विचार भेजते समय और फ़ा का अध्ययन करते समय नींद आने लगी। मैंने सत्य स्पष्टीकरण में भी ठीक से काम नहीं किया। हर बार जब मैं टी.वी. देखती थी, तो मुझे अगली सुबह अभ्यास करने के लिए उठने में कठिनाई होती थी। हर बार जब मैं टी.वी. देखती थी, तो मेरी आँखें दुखती थीं, मुझे पता था कि मुझे टी.वी. नहीं देखना चाहिए, लेकिन मैं खुद को रोक नहीं पाई। यह सिलसिला कई सालों तक चलता रहा।
मुझे पता था कि मास्टरजी ने मुझसे उम्मीद नहीं छोड़ी है, और मैंने इस आसक्ति को छोड़ने का मन बना लिया। मास्टरजी ने देखा कि मैं अभी भी अच्छा बनना चाहती हूं, इसलिए उन्होंने मेरी मदद की। दो सप्ताह तक अपने कंप्यूटर पर मिंगहुई वेबसाइट खोल नहीं पाने के बाद, मैं आखिरकार एक दोपहर ऑनलाइन हो पाई, और इंटरनेट की गति बहुत अच्छी थी। मैंने जल्दी से टी.वी. देखने के बारे में उपयुक्त लेख डाउनलोड किए और उसी दोपहर उन्हें पढ़ा। साथी अभ्यासियों के लेख पढ़ने के बाद, मैंने इस बारे में और अधिक जाना कि आम लोगों से संबंधित टी.वी. कार्यक्रम देखना साधकों के लिए कितना नुकसानदेह हो सकता है।
उस दिन से मैंने टी.वी. देखना बंद कर दिया। यानी उस दिन से मैं नियमित रूप से सुबह के व्यायाम में भाग लेने में सक्षम हो गयी। साथ ही, मैंने लंबे समय तक सद्विचारों को भेजने, फा का ज्यादा से ज्यादा अध्ययन करने और वास्तव में सच्चे मन से साधना करने पर भी ध्यान देना शुरू कर दिया।
मैंने पैसे कमाने के कई अवसरों को ठुकरा दिया, मैं अपने समय का सदुपयोग करना चाहती थी और वह सब करना चाहती थी जो एक दाफा अभ्यासी को करना चाहिए। धीरे-धीरे, विचार स्पष्ट होते गये मैंने दिन के दौरान झपकी लेना बंद कर दिया, और मुझे अभ्यास के दौरान शांतता अनुभव होने लगी।
इससे पहले लंबे समय तक, मैं व्यायामों का संगीत नहीं सुन पायी थी, और मैं अभ्यास के दौरान मास्टरजी के निर्देशों को सुनने पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पायी थी। मैं इस बारे में सोच रही थी कि पैसे कैसे कमाए और कैसे बचाए जाएँ। मेरा दिमाग सभी तरह के मोहभावों से भरा हुआ था और मेरे मन में कैसे भी विचार आ रहे थे। मेरी आँखों में पानी था और मेरी नाक बह रही थी। मुझे हर बार व्यायाम करने से पहले टिश्यू का एक पैकेट तैयार रखना पड़ता था। मुझे पता था कि मास्टरजी मेरे शरीर से बुरी चीजों को साफ कर रहे हैं।
इससे पहले, मेरे दाहिने कान से एक साल से ज़्यादा समय तक पस बहता रहा। मुझे लगता है कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मैं आम लोगों से संबन्धित टी.वी. देखती थी और आम लोगों के गाने सुनती थी, और मैं खुद के साथ सख्त नहीं थी। मास्टरजी को मेरी चिंता करने देना एक अपमान था!
अब, मैं आखिरकार मास्टरजी के निर्देशों को सुन सकती हूँ और शांति से संगीत का अभ्यास कर सकती हूँ। यह लंबे समय से खोई हुई आवाज़ करुणामय और प्रभावशाली है और इसमें बुद्ध की महान कृपा में स्नान करने की सुंदरता है। जब मैं यह लिख रही हूँ, तो मेरी आँखे मास्टरजी के प्रति कृतज्ञता के आँसुओं से भरी हुई है!
साथी अभ्यासियों, इस अनोखे अवसर का आनंद लें, कड़ी मेहनत करें, मोबाइल फोन के वीडियो से दूर रहें, सर्वसाधारण लोगों के टी.वी. कार्यक्रम न देखें, और उस बहुमूल्य समय का आनंद लें जो मास्टरजी ने हमारे और सभी सचेत जीवों के लिए बढ़ाया है!
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