(Minghui.org)
नमस्कार, आदरणीय मास्टरजी ! नमस्कार, दुनिया भर के साथी अभ्यासियों!
मास्टरजी ने हमें नर्क से बाहर निकाला है और हमें शुद्ध किया है। हमारे कर्मों को भोगकर, मास्टरजी ने हमारे द्वारा विभिन्न स्तरों पर किए गए कर्मों का भुगतान किया है। इसके अलावा, मास्टरजी हमें देवत्व प्राप्त करने में मदद कर रहे हैं और उन्होंने हमें सचेत जीवो को बचाने का पवित्र मिशन दिया है। मास्टरजी ने हमें अपने पवित्र मिशन को पूरा करते हुए अपने शक्तिशाली सद्गुण और कृपा को बनाने के अवसर दिए हैं। हालाँकि हम कभी भी मास्टरजी द्वारा किये गए उद्धार के लिए उनका ऋण नहीं चुका पाएँगे, लेकिन हम अपने साधना में मेहनती होने, तीन चीजों को अच्छी तरह से करने और सचेत जीवो को बचाते हुए स्वयं अच्छी तरह से साधना करने की मास्टरजी की आवश्यकताओं का पालन करके अपना आभार व्यक्त करने का प्रयास कर सकते हैं।
सत्य-स्पष्टीकरण सामग्री वितरित करने और सचेत जीवो को बचाने के लिए साथी अभ्यासियों के साथ समन्वय करना
2005 में, हमारे क्षेत्र के अभ्यासियों ने हमारे क्षेत्र की प्रत्येक गली में अभ्यासियों को नियुक्त करने का एक संयुक्त निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हमारे क्षेत्र के सभी निवासी सत्य-स्पष्टीकरण सामग्री प्राप्त कर सकेंगे। मेरे और एक अन्य अभ्यासी के पास एक साइकिल रिक्शा है, इसलिए हम दोनों ने शहर के किनारे की सड़कों को कवर करने के लिए स्वेच्छा से काम किया। उन क्षेत्रों में स्ट्रीट लाइट नहीं हैं और सड़कें खतरनाक हैं, खासकर बारिश के बाद। कीचड़ भरी सड़कों में गहरे गड्ढे यात्रा करना बहुत मुश्किल बना देते हैं। अपने दिए गए जिलों को कवर करने के बाद, हम सामग्री वितरित करने के लिए पास के गांवों में जाते हैं। हम हर शाम अपने घर पर समूह फ़ा अध्ययन करते हैं। फ़ा अध्ययन के बाद, हम सामग्री वितरित करने के लिए बाहर जाते हैं। धीरे-धीरे अधिक से अधिक अभ्यासी इस प्रयास में शामिल हो गए हैं। आमतौर पर एक साइकिल रिक्शा 6 से 7 यात्रियों को ले जा सकती है जिस समय हमने कम्युनिस्ट पार्टी पर नौ टिप्पणियाँ वितरित कीं , उस दौरान हमने नौ टिप्पणियों की 1,000 से ज़्यादा प्रतियाँ और 2,000 से ज़्यादा सत्य-स्पष्टीकरण ब्रोशर वितरित किए। एक शाम में, हम 7 से 8 गाँवों का दौरा करने में सक्षम थे। कभी-कभी हम एक शाम में 10 से ज़्यादा गाँवों का दौरा करते थे।
सामग्री वितरित करने के बाद, हम पड़ोसी काउंटियों के शहरों में गए। (क्योंकि आस-पास की काउंटियों में बहुत कम अभ्यासी हैं, इसलिए उन्होंने शायद ही कोई सामग्री वितरित की हो।) जब मैं वहाँ गयी , तो उस समय मैं बहुत दबाव में थी। जब से चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) ने 1999 में फालुन गोंग का दमन शुरू किया, तब से मैं और मेरे पती स्थानीय पुलिस के ध्यान का मुख्य लक्ष्य रहे हैं। हमे बार-बार सताया गया है। कभी-कभी अधिकारियों के लापरवाह दुर्व्यवहार के सामने हमारी बुद्ध प्रकृति और राक्षस प्रकृति एक-दूसरे से लड़ती थी। 2002 में, जब हमने एक विशेष काउंटी में सत्य-स्पष्टीकरण सामग्री वितरित की, तो एक साथी अभ्यासी को गिरफ्तार कर लिया गया। उस रात हमें अपना काम पूरा किए बिना वापस लौटना पड़ा।
मुझे लगा कि जब मैं सचेत जीवो को बचाने के बारे में सोचूँ तो मुझे अपनी ज़िम्मेदारियों से पीछे नहीं हटना चाहिए। इसके अलावा, अगर मैं सामग्री वितरित करने के लिए साइकिल रिक्शा यात्राओं का आयोजन करना बंद कर दूँ, तो कोई भी अन्य अभ्यासी कभी भी ऐसी यात्राओं का आयोजन नहीं कर पाएगा। (मुझे इस बात पर ज़ोर देना चाहिए कि यह मास्टरजी ही हैं जिन्होंने मुझे इतना महत्वपूर्ण मिशन दिया है और मुझे परिपक्व बनने में सक्षम बनाया है ताकि मैं अपनी प्रागैतिहासिक प्रतिज्ञा को पूरा कर सकूँ।) मुझे अपनी झिझक छोड़नी पड़ी और ऐसी यात्राएँ जारी रखनी पड़ीं। कभी-कभी, मैंने बहादुर बनने की कोशिश की और खुद को जारी रखने के लिए मजबूर किया। मैंने सोचा, "फ़ा हर चीज़ से पहले आता है। अगर हम सत्य-स्पष्टीकरण सामग्री वितरित करना बंद कर देते हैं, तो सचेत जीव फालुन गोंग के बारे में सच्चाई नहीं जान पाएँगे। उन क्षेत्रों में सचेत जीवो का क्या होगा?" चाहे मैं कितना भी डरी हुयी क्यों न हो, मुझे सत्य-स्पष्टीकरण कार्य को अच्छी तरह से करने के लिए शांत और दृढ़ रहना चाहिए। मुझे सत्य-स्पष्टीकरण कार्य समूह पर सकारात्मक प्रभाव डालना चाहिए। मुझे अपना डर कभी नहीं दिखाना चाहिए या यह अन्य अभ्यासियों के सद्विचारों और विश्वास के स्तर को प्रभावित कर सकता है।
इस प्रक्रिया के दौरान, मैंने हर समय सचमुच मास्टरजी को अपने पास ही महसूस किया है। वे हमेशा मुझ पर नज़र रखते हैं, मुझे प्रोत्साहित करते हैं और मेरी मदद करते हैं। मैंने सचमुच महसूस किया कि "बुद्ध की असीम कृपा" का क्या मतलब है!
गांवों की यात्रा करने से कुछ दिन पहले, हमने उन गांवों के प्रति सद्विचार भेजे। इसके अलावा, हम हमेशा एक समूह फ़ा अध्ययन करते थे और रवाना होने से पहले सद्विचार भेजते थे। प्रत्येक यात्रा लगभग 100 मील की थी। हमने यात्रा के दौरान हांग यिन का पाठ करने का अवसर लिया । कुछ साथी अभ्यासियों ने हांग यिन की पूरी पुस्तक याद नहीं की है, कुछ ने इसे बहुत पहले याद किया था लेकिन अब भूल गए हैं। जो लोग गांवों की समूह यात्राओं में शामिल हुए, उन्होंने जल्द ही हांग यिन को फिर से याद कर लिया।
किसी गांव में प्रवेश करने से पहले ही हम उस गांव की ओर सद्विचार भेजने पर ध्यान केंद्रित करते थे। यद्यपि गांवों की इन यात्राओं पर बहुत अधिक अभ्यासी नहीं थे, फिर भी हम खतरे से सुरक्षित थे। इसके अलावा, हमने एक-दूसरे के साथ बहुत अच्छा सहयोग किया। हर बार जब हम यात्रा करते थे, तो हमें पूरी रात लग जाती थी। हम आम तौर पर साप्ताहिक यात्राएँ करते थे। उस समय हम पूरी रात बिताते थे क्योंकि हमारे लिए ऐसी यात्राएँ करना आसान नहीं था। (प्रत्येक क्षेत्र में साधना की स्थिति अलग-अलग होती है। यदि आपके पास समान साधना वातावरण नहीं है, तो कृपया हमारी नकल न करें।) हमारे क्षेत्र में सर्दियाँ बहुत ठंडी होती हैं। कभी-कभी रात में तापमान -30 डिग्री तक गिर जाता था। कभी-कभी बर्फ़बारी होती थी। गाँवों में सामग्री वितरित करना आसान नहीं था। अगले दिन, हमने अक्सर देखा कि हमारे चेहरे, कान और होंठ बर्फ़ से जमे हुए थे, लेकिन हम सभी जल्दी ठीक हो गए।
एक दिन हम नौ टीकाएँ वितरित करने के लिए एक नदी पार कर रहे थे। अभी-अभी हिमपात हुआ था। जमी हुई नदी की सतह बहुत फिसलन भरी थी। बर्फ की सतह पर एक गहरा गड्ढा था। एक पहिया गड्ढे में फंस गया था, और हम उसे बाहर नहीं निकाल पाए। हवा ने हमें हड्डियों तक ठंडा कर दिया। हमें कार से बाहर निकलना पड़ा और उसे गड्ढे से बाहर धकेलना पड़ा। हमने बार-बार कोशिश की, लेकिन हम पहिया नहीं निकाल पाए। आगे देखने पर, नदी अंतहीन लग रही थी, और यह बिल्कुल काली थी। तब मुझे याद आया कि जब मास्टरजी ने पहली बार फा देना शुरू किया था, तो उन्हें कितनी कठिनाइयों से गुजरना पड़ा होगा। इस आयाम में, यह फंसा हुआ पहिया था जिसने हमें आगे बढ़ने से रोका, लेकिन अन्य आयामों में इससे भी बड़ी बाधाएँ रही होंगी!
फिर मुझे अंततः कुछ एहसास हुआ: फा-सुधार अवधि में फालुन गोंग अभ्यासियों के पास ब्रह्मांड में सबसे महत्वपूर्ण पदवी होती है। फालुन गोंग अभ्यासी होना वास्तव में सबसे बड़ी बात है। हम आसमान से ऊपर पहुँच रहे हैं। मुझे सच में लगा कि मैं आसमान के सामने खड़ी हूँ और मास्टरजी द्वारा हमें दी गई महान शक्ति के कारण मैं सब कुछ करने में सक्षम हूँ। मुझे सच में लगा कि हमारे लिए फा की पुष्टि करना और सचेत जीवो को बचाना सराहनीय और शानदार था। हम निस्वार्थ और परोपकारी तरीके से सचेत जीवो को बचा रहे हैं। जब कोई निस्वार्थ और परोपकारी होता है तो मुझे सुंदरता, पवित्रता और गंभीरता का एहसास होता है। यह शब्दों से परे की भावना थी। मैं सच में आभारी हूँ कि मास्टरजी ने मुझे सचेत जीवो को बचाने का अवसर दिया है। यह अवसर फिर कभी नहीं आएगा। उस समय, मुझे अब किसी भी चीज़ का डर नहीं था। मुझे लगा कि बुराई को खत्म करना धूल झाड़ने जितना आसान था।
जब मैं पीछे मुड़ी , तो मैंने पाया कि पहिया मुक्त हो चुका था। मैं फूट-फूट कर रोने लगी और महसूस किया कि मेरा शरीर ऊर्जा से भर गया है। मैंने कहा, "धन्यवाद, मास्टरजी ।" हमने एक बार फिर महसूस किया कि मास्टरजी में देख रहे हैं, हमारी रक्षा कर रहे हैं और हमारी मदद कर रहे हैं। उस यात्रा ने बहुत बड़ा प्रभाव डाला। उस क्षेत्र के कुछ अभ्यासी अपनी साधना के प्रति उदासीन थे और कभी भी मदद के लिए आगे नहीं आए। चूँकि हमने नौ टीकाएँ घर-घर जाकर वितरित की थीं, इसलिए उन अभ्यासियों को भी सामग्री मिल गई थी। वे हमारे प्रयासों से बहुत प्रोत्साहित हुए। जब उन्होंने आखिरकार हमारे साथ अपनी साधना अंतर्दृष्टि का आदान-प्रदान किया, तो उन्होंने कहा, "अन्य क्षेत्रों के अभ्यासी भी नौ टीकाएँ वितरित करने के लिए बहुत दूर तक यात्रा कर चुके हैं! उन्होंने बहुत सी कठिनाइयों को पार किया होगा। अब समय आ गया है कि हम भी आगे बढ़कर सामग्री वितरित करें।"
इस प्रक्रिया के दौरान कई चमत्कार हुए हैं। कुछ अभ्यासियों को रोग कर्म था और उनके पैरों या गर्दन में दर्द का अनुभव हुआ, लेकिन यात्राओं से लौटने के बाद उनके सभी लक्षण गायब हो गए। हम हमेशा फा का अध्ययन करते थे और प्रत्येक यात्रा के बाद रात को अपने अनुभवों का आदान-प्रदान करते थे। जब कोई यात्रा सफल होती थी, तो इसका कारण यह था कि हम उत्साह या खुद को साबित करने की महत्वाकांक्षा से जुड़े नहीं थे। यदि हम अच्छा करते हैं, तो यह मास्टरजी की मदद के कारण होता है। फालुन गोंग अभ्यासियों के रूप में फा-सुधार अवधि में, हमें बिना शर्त अच्छा करना चाहिए। जब हम अच्छा नहीं करते हैं, तो हमें आसक्तियों के लिए अंदर की ओर खोजना चाहिए। शायद ऐसा इसलिए है क्योंकि जब हम अच्छी तरह से सहयोग नहीं करते हैं, तो हम सचेत जीवो को बचाने के मिशन को अच्छी तरह से पूरा होने से रोकते हैं। मेरे क्षेत्र में अभ्यासी तेजी से परिपक्व हो रहे हैं। हमें लगता है कि सब कुछ स्वाभाविक है और हम अभेद्य हैं।
हर बार जब मैं याद करती हूँ कि कैसे हमने एक दूसरे के साथ मिलकर फा की पुष्टि की है, तो मुझे फा-सुधार अवधि में फालुन गोंग अभ्यासियों में से एक होने पर बहुत खुशी होती है। मैं मास्टरजी को धन्यवाद देती हूँ कि उन्होंने हमें सचेत जीवो बचाने का पवित्र मिशन दिया है। इसने हमें सचेत जीवो को बचाते हुए भय, उत्साह और कई मानवीय भावनाओं को खत्म करने के अवसर दिए हैं। हमने अधिक स्पष्ट, तर्कसंगत और परिपक्व बनना सीखा है। हमने एक शरीर के रूप में सामंजस्य बनाना और क्षमा करना सीखा है। हमने वास्तव में खुद को फा में घुल जाने की पवित्रता को महसूस किया है।
काम पूरा करने की आसक्ति; सत्य-स्पष्टीकरण सामग्री साइट क्षतिग्रस्त है
जैसे-जैसे फ़ा-सुधार आगे बढ़ता गया, मैंने और कई अन्य अभ्यासियों ने 2005 में कुछ सत्य-स्पष्टीकरण सामग्री साइटों की स्थापना की। जब हमने पहली बार सामग्री का उत्पादन शुरू किया, तो हमने साइटों को सद्विचारों के साथ चलाया। हमें लगा कि हम कुछ पवित्र कर रहे हैं। जैसे-जैसे हम मुद्रण की मात्रा बढ़ाते गए, हमें फ़ा का अध्ययन करते समय ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हुई, भले ही हम हर शाम एक समूह के रूप में फ़ा का अध्ययन करते थे। धीरे-धीरे मैं खुद काम से और अधिक जुड़ गयी। जैसे-जैसे मैं अभ्यासियों के बीच "प्रसिद्ध" होती गयी , अधिक से अधिक अभ्यासियों ने मुझसे नौ टीकाएँ माँगीं। इसके अलावा, मैं सामग्री वितरित करने के लिए सप्ताह में एक बार गाँवों की यात्रा कृति थी। मैं खुद से खुश हो गयी और मैंने दाफ़ा कार्य से मोहभाव पैदा कर लिया और खुद को घमंडी बना लिया। मुझे लगा कि कोई और ऐसा नहीं कर सकता जो मैंने किया। मैं खुद को साबित करना चाहती थी। दूसरे आयामों से दुष्टों ने मेरी खामियों का फायदा उठाना शुरू कर दिया। मैंने आपूर्तियाँ खरीदना, तकनीकी सहायता, मुद्रण सामग्री और सामग्री वितरित करना शुरू कर दिया। मैं खुद एक उत्पादन और वितरण लाइन से था। इसके अलावा, मैंने स्थानीय दाफ़ा कार्य का समन्वय किया। पीछे मुड़कर देखें तो, मैं एक साधारण व्यक्ति की तरह दाफ़ा कार्य कर रही थी। कभी-कभी मुझे ऐसा लगता था कि कुछ गड़बड़ है, क्योंकि मैं काम के अलावा और कुछ नहीं सोचती थी।
मुझे पता था कि मुझे और अधिक साइटें बनानी चाहिए थीं ताकि अधिक अभ्यासी योगदान दे सकें। उस समय नए साइट के लिए सही उम्मीदवार और सही स्थान ढूँढ़ना बहुत मुश्किल था। मुझे साइट चलाने में मदद करने के लिए दो अभ्यासी मिले, लेकिन मुझे एहसास नहीं हुआ कि उनकी साधना की स्थिति अच्छी नहीं थी। अगर मैं साथी अभ्यासियों के प्रति अधिक विचारशील होती और काम पर इतना अधिक ध्यान केंद्रित नहीं करती , तो मुझे समस्या का पता चल जाता। उनमें से एक को गिरफ्तार कर लिया गया और उसने सामग्री साइट का स्थान बता दिया और पुलिस को मेरे घर ले गई। पुलिस ने मेरे घर की तलाशी ली। मुझे मास्टरजी के साथ की गई प्रतिज्ञा याद आ गई: चाहे कुछ भी हो जाए, मुझे मास्टरजी का अनुसरण करना चाहिए और मैं फ़ा-सुधार के अंत तक मास्टरजी का अनुसरण करूंगी। मैं पुलिस की तलाश के बावजूद बच निकली। हालाँकि, मुझे तब से छिपने के लिए मजबूर होना पड़ा। मेरे पति को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार होने पर उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। उन्हें गंभीर यातनाएँ दी गईं और पाँच साल की जेल की सजा सुनाई गई। जेल में दो साल के दौरान, वे मानसिक रूप से विकृत हो गए। दो साथी अभ्यासियों को भी गिरफ्तार किया गया, और प्रत्येक को सात साल की जेल की सजा सुनाई गई।
गिरफ़्तारियों ने हमारे क्षेत्र में सत्य-स्पष्टीकरण के प्रयास को बहुत नुकसान पहुँचाया। यह एक महँगा सबक था। मैं साथी अभ्यासियों को सलाह देना चाहूँगी कि चाहे आप कितने भी व्यस्त क्यों न हों, हमेशा अपनी साधना को प्राथमिकता दें! स्वाभाविक रूप से, हमें दाफ़ा कार्य करना चाहिए और हमें इसे अच्छी तरह से करना चाहिए। लेकिन हमें खुद को सही तरीके से स्थापित करना चाहिए। खुद की साधना से ज़्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं है! जब हम सही होते हैं, तो मास्टरजी हमारे लिए कुछ भी कर सकते हैं। लेकिन जब हम अच्छा करने में विफल होते हैं, तो मास्टरजी को आलोचना का सामना करना पड़ता है। हम उनके के लिए कष्ट पैदा कर रहे होंगे! 1999 में दमन शुरू होने के बाद से इन कई वर्षों को पीछे देखते हुए, अनगिनत प्रशंसनीय साथी अभ्यासी समाज में सबसे बेहतरीन हैं और उन्होंने फ़ा की पुष्टि करने के लिए जीवन में अपनी खुशियाँ त्याग दी हैं। उन्होंने कई योगदान दिए लेकिन कई खुद की अच्छी तरह से साधना करने में विफल रहे। कुछ का पुलिस द्वारा शोषण किया गया। उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया, प्रताड़ित किया गया और पीट-पीटकर मार डाला गया। कई लोगों को कई सालों की जेल की सज़ा सुनाई गई है। ये महँगे सबक हैं! हमें अब मास्टरजी की करुणा को हल्के में नहीं लेना चाहिए!
हेशी,
धन्यवाद, शिक्षक जी। धन्यवाद, साथी अभ्यासियों!
कॉपीराइट © 2025 Minghui.org. सभी अधिकार सुरक्षित।